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________________ पाठ 69 संज्ञा शब्द चतुर्थी व षष्ठी विभक्ति बहुवचन संज्ञाएँ सामि=स्वामी चतुर्थी व षष्ठी बहुवचन सामीण/सामीणं गामणी= गाँव का मुखिया गामरणीण/गामणीणं इकारान्त पुल्लिग ईकारान्त पुल्लिग उकारान्त पुल्लिग ऊकारान्त पुल्लिग साहु=साधु साहूण/साहूणं सयंभू स्वयंभू सयंभूरण/सयंभूणं इकारान्त नपुंसकलिंग वारिजल वारीण/वारीणं वत्थूण/वत्थूणं उकारान्त नपुंसकलिंग वत्य पदार्थ अकर्मक क्रियाएँ गल =गलना, चुन टपकना, फुर =प्रकट होना, जग्ग =जागना चतुर्थी व षष्ठी बहुवचन सामीण/सामीणं गव्वो गलइ /आदि सकर्मक क्रियाएँ कर =करना, पढ =पढ़ना, इच्छ =इच्छा करना = स्वामियों का गर्व साहूण साहूणं तेऊ फुरइ/प्रादि =साधुनों का तेज प्रकट होता है । सो वत्थूण/वत्थूणं णाणं करइ /आदि =वह पदार्थों का ज्ञान करता है । अहं सामीण/सामीणं जागरमि/प्रादि = मैं स्वामियों के लिए जागता हूँ । तुमं साहूण/साहूणं भोयणं इच्छसि/आदि =तुम साधुओं के लिए भोजन चाहते हो । 158 ] प्राकृत रचना सौरभ ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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