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नरिदो रज्जाइं/रज्जाइँ/रज्जाणि रक्खइ/रक्ख दि/आदि राजा राज्यों की रक्षा
करता है। माया भोयणाई/मोयणाई/भोयणाणि खाइ/खादि/आदि =माता (विभिन्न प्रकार) के
भोजन खाती है।
(iii) प्राकारान्त स्त्रीलिंग वर्तमानकाल
(द्वितीया बहुवचन) रिदो माया/मायाउ/प्रायानो पणम इ/पणमदि/आदि=राजा माताओं को प्रणाम
करता है। रज्जं सिक्ख/सिक्खाउ/सिक्खाओ जाणइ/जाणदि/आदि =राज्य शिक्षाओं को
समझता हैं। माया कहा कहाउ कहानो सुणइ/सुणदि/प्रादि =माता कथानों को सुनती है । (iv) पुरुष वाचक सर्वनाम वर्तमानकाल
(द्वितीया बहुवचन) अहं हं/अम्मि तुम्हे तुज्झ/तुब्भे/भे पणमामि/आदि == मैं तुम (सब को) प्रणाम करता हूँ।
करती हूँ। तुमं/तुं/तुह अम्हे/अम्हणे पालसि/आदि =तुम हम (तब को) पालते हो/पालती
हो। ते ता
जाण इ/आदि =वह उन (पुरुषों) को जानता है । सा ता/ताउ/ताप्रो जाणइ/आदि = वह उन (स्त्रियों) को जानती है ।
ताइं/ताइ/ताणि रक्ख इ/आदि =वह उन (राज्यों) की रक्षा करती है।
1. (i) अकारान्त पुल्लिग संज्ञा शब्दों से द्वितीया बहुवचन बनाने के लिए 'o' प्रत्यय
जोड़ा जाता है, '०' प्रत्यय जोड़ने पर अ का प्रा और ए हो जाता है । नरिंद→नरिंदा, नरिंदे ।
(ii) अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों से द्वितीया बहुवचन बनाने के लिए इं, इँ और
णि प्रत्यय जोड़े जाते हैं तथा इनके जोड़ने पर प्र का प्रा हो जाता है ।
रज्ज→रज्जाइं, रज्जाइ, रज्जाणि । (iii) आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों में द्वितीया बहुवचन बनाने के लिए 0, उ, प्रो
प्रत्यय जोड़े जाते हैं । जैसे-माया, मायाउ, मायाप्रो ।
प्राकृत रचना सौरभ ]
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