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________________ पाठ 52 संज्ञा शब्द द्वितीया बहुवचन अकारान्त पुल्लिग सज्ञाएँ नरिंद =राजा करह =ॐट परमेसर-परमेश्वर द्वितीया बहुवचन नरिंदा/नरिंदे करहा/करहे परमेसरा/परमेसरे अकारान्त नपुंसकलिंग भोयरण =भोजन तिरण =घास रज्ज =राज्य भोयणाइं/भोयण।इँ/भोयणाणि तिणाइ/तिणाइँ/तिणाणि रज्जाइं/रज्जाइँ/रज्जाणि प्राकारान्त स्त्रीलिग माया माता कहा कथा सिक्खा =शिक्षा माया/मायाउ/मायामो कहा/कहाउ/कहाअो सिक्खा/सिक्खाउ/सिवखाओ क्रियाएँ रक्ख-रक्षा करना, चर-चरना, खा-खाना पाल-पालना परगम-प्रणाम करना, मुरग=सुनना जार=जानना, समझना प्रकार वर्तमानकाल (द्वितीया बहुवचन) नरिंदो परमेसरा/परमेसरे पणमइ/पणमदि/अादि= राजा परमेश्वरों (सिद्धों) को प्रणाम करता है। रज्जं नरिंदा/नरिदे रक्ख इ/रक्खदि/प्रादि = राज्य राजाओं की रक्षा करता है । नरिंदा/नरिंदे पणमइ/पणमदि/आदिमाता राजानों को प्रणाम करती है । माया (ii) अकारान्त नपुंसकलिंग वर्तमानकाल (द्वितीया बहुवचन) करहो तिणाई/तिणाइँ/तिणाणि चरइ/चरदि/आदि =ऊँट (विभिन्न प्रकार के) घास चरता है। 116 ] [ प्राकृत रचना सौरभ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only For Private www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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