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________________ 2. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ सकर्मक हैं । सकर्मक क्रिया वह होती है का प्रभाव कर्म पर पड़ता है । जैसे— 'माता कथा सुनती है, क्रिया 'सुनना ' है । इसका प्रभाव 'कथा' पर पड़ता है, अतः 'सुनना' क्रिया का कर्म 'कथा' है । 3. 4. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। इसमें कर्ता के अनुसार क्रियानों के पुरुष और वचन होते हैं । संज्ञा वाक्यों में कर्ता अन्य पुरुष एकवचन में है, अतः क्रियाएँ भी अन्य पुरुष एकवचन की ही लगी हैं । सर्वनाम वाक्यों में क्रिया उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष तथा अन्य पुरुष बहुवचन के अनुरूप लगी है । जिसमें कर्ता की क्रिया इसमें कर्ता 'माता' की क्योंकि 'कथा' सुनी जाती है । ऊपर वर्तमानकाल के वाक्य दिए गए हैं । द्वितीया एकवचन का प्रयोग करते हुए भविष्यत्काल, भूतकाल तथा विधि एवं प्रज्ञा के वाक्य भी बना लेने चाहिए | कर्ता एकवचन के स्थान पर कर्ता बहुवचन का प्रयोग करके भी सभी कालों में वाक्य बना लेने चाहिए । प्राकृत रचना सौरभ ] Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only [ 115 www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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