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होता हैं । (२) ऐशान :- ईशान नामक इन्द्र के आश्रित होने से ऐशान कहते हैं । इनका
विमान सौधर्म कल्प की तरह अर्ध चंद्राकार होता है । (३) सनत्कुमार :-सनतकुमार नामक इन्द्र का निवास होने से सनत्कुमार कल्प
कहलाता हैं । अर्ध चंद्राकार संस्थान वाला यह देवलोक अति सुंदर विमान
(४) महेन्द्र :- महेन्द्र नामक इन्द्र का निवास होने से उसको महेन्द्र कल्प कहते
हैं । इनका विमान अर्ध चन्द्र की आकृति संस्थान वाला है। (५) ब्रह्मलोक :- ब्रह्म नामक इन्द्र वहाँ रहता है इसलिए ब्रह्मलोक कल्प कहते
है । पूर्ण चंद्र की आकृतिवाला इनका विमान है । (६) लान्तक :- लांतक नाम के इन्द्र का आधिपत्य होने से लांतक कल्प कहते
हैं । ये पूर्ण चंद्राकार विमान है । . (७) महाशुक्र :- महाशुक्रावतंसक नामक विमान में उत्पन्न हुऐ महाशुक्र इन्द्र के
कारण इस कल्प को महाशुक्र कल्प कहते हैं । यह कल्प संपूर्ण चंद्राकार
(८) सहस्त्रार :- राजा के जैसे शोभायमान सहस्त्रार इन्द्र के नाम पर से यह
कल्प पहचाना जाता है । यह संपूर्ण चंद्राकार कल्प है। (९-१०) आनत-प्राणत :- इन दोनों कल्प के बीच में एक ही इंद्र होता है ।
उस इंद्र का नाम प्राणत है, और वह प्राणतावतंसक विमान में उत्पन्न होता है । यहाँ आनतावतंसक इन्द्रक विमान के कारण इसे आनत कल्प कहते हैं । और प्राणत इन्द्र के नाम पर से अथवा प्राणतावतंसक इन्द्रक विमान के कारण इसे प्राणत कल्प कहा हैं । इन दोनों विमानों का आकार अर्ध
चंद्राकार है। १०-११ आरण-अच्युत :- यहाँ भी दोनों के बिच में एक ही इन्द्र होता है,
उसका नाम अच्युतेन्द्र है । दक्षिण दिशा में आरणावतंसक इन्द्रक विमान के कारण इसे आरण कल्प कहते है। उत्तरदिशा में अच्युतावतंसक विमान में उत्पन्न होने के कारण अच्युतेन्द्र के नाम से इस कल्प को अच्युत कल्प कहते हैं । दोनों विमान अर्धचंद्राकार है और मणिमय विमानों से तेजोमय
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