________________
१२७
इनके नाम है २८
१) सुदर्शन, २) सुप्रतिबद्ध, ३) मनोरम, ४) सर्वतोभद्र, ५) सुविशाल, ६) सुमनस् ७) सौमनस्य ८) प्रियंकर ९) नंदिकर
अनुत्तरौपपातिक के ५ प्रकार है१) विजय २) वैजयंत ३) जयन्त ४) अपराजित ५) सर्वार्थसिद्ध वैमानिक देवों के विमान तीन प्रकार के होते हैं :१) इन्द्रक विमान २) श्रेणि विमान और
३) पुष्प प्रकीर्णक विमान । १) इन्द्रक विमान :- इन्द्र के समान मध्य में स्थित हैं, वे इन्द्रक विमान होते
२) श्रेणि विमान :- जो इन्द्रक विमान के चारों दिशाओं में पंक्तिबद्ध स्थित हैं, उनको श्रेणि विमान कहते हैं । ३) पुष्यप्रकीर्णक विमान :- बिखरे हुए फूलों के समान विदिशाओं में जो विमान अवस्थित हैं, उनको पुष्पप्रकीर्णक विमान कहते हैं।
इन विमानों में जो देवप्रासाद हैं तथा जो शाश्वत जिन चैत्यालय हैं, वे सब अकृत्रिम हैं अर्थात् शाश्वत है । इनका परिमाण मानवयोज़न कोश आदि से जाना जाता हैं । अन्य शाश्वत या अकृत्रिम पदार्थों का परिमाण प्रमाण-योजन कोश आदि से किया जाता है । यह परिभाषा है । परिभाषा नियम बनानेवाली होती
कल्पोपन्न देवों के नामों का रहस्य :(१) सौधर्म :- सौधर्म नाम का इन्द्र वहाँ होने से उसको सौधर्म कल्प कहते
है । इनका विमान अर्ध चंद्र के समान आकार वाला पूर्णरत्नमय शोभायुक्त
Jain Education International 2010_03
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org