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देवों के नाम मुकुट चिह्न देवों के नाम मुकुट चिह्न १. असुरकुमार चूडामणि ६. द्वीपकुमार सिंह २. नागुकमार नाग का फण ७. उदधिकुमार मकर ३. सुवर्णकुमार गरूड
८. दिक्कुमार हस्ति ४. विद्युतकुमार वज्र
९. पवनकुमार
श्रेष्ठ अश्व ५. अग्निकुमार पूर्णकलश १०. स्तनितकुमार वर्द्ध मानक
इस प्रकार के चिह्न देवों के मुकुट के होते हैं । वे कल्याणकारी, शिलिन्ध्र-पुष्प के समान किंचित् रक्त तथा संक्लेश उत्पन्न न करने वाले सूक्ष्म उत्तम वस्त्र पहने हुए होते हैं । वे कल्याणकारी श्रेष्ठ माला और अनुलेपन के धारक और दैदीप्यमान शरीर वाले होते हैं । वे लंबी वनमाला के धारक होते
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दिव्य वर्ण से दिव्य गंध से स्पर्श, संहनन, आकृति, ऋद्धि, द्युति, प्रभा, छाया(शोभा) अचि(ज्योति), तेज, एवं दिव्य लेश्या से दसों दिशाओं को प्रकाशित करते हुए सुशोभित करते हुए वे रहते हैं ।
इन्हीं में बहुत से असुरकुमार देव काले, लोहिताक्ष रत्न तथा बिम्बफल के समान होठ वाले होते हैं । उनके दांत श्वेत पुष्पों के समान होते हैं । वे काले केश वाले होते हैं । उनके बाएँ कान में एक कुण्डल होता हैं । उनका शरीर गीले चन्दन से लिप्त होता हैं । वे तलभंगक (भुजा का भूषण), त्रुटित (बाहुरक्षक) एवं अन्योन्य श्रेष्ठ आभूषणों से जटित निर्मल मणियों तथा रत्नों से मण्डित भुजाओं वाले, दस मुद्रिकाओं से सुशोभित अंगुलियों वाले होते हैं । वे अत्यंत स्वरूप वाले होते हैं । वे महद्धिक, महाद्युतिमान, महायशस्वी, महाप्रभावयुक्त, महासुरभियुक्त, हार से सुशोभित होते हैं । वे उपभोग्य भोगों का उपभोग करते हुए रहते हैं । यही वर्णन इन्द्रों और सामान्य देवों का भी होता है ।
७. चमरेन्द्र की परिषद का वर्णन राजाओं की राज्य सभा में जिस तरह व्यवस्था होती है, उसी तरह देवों में इन्द्र की परिषदों की व्यवस्था होती हैं ।
असुरेन्द्र चमर की तीन परिषदाएँ हैं-६१
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