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हितोपदेश : यत्किंचिद् वक्तव्य :
पू. श्रीजंबूविजयजी महाराज साहेबे कुंभण चातुर्मासमां साधु-साध्वीजी भगवंतोने आ ग्रंथ वाचन करावती वेळाए करी आपेल छे. जेम जेम ग्रंथ वंचातो गयो, तेम तेम जेटला पेजो मोकलता गया अने प्रताकारमां करेल पाठशुद्धिना आधारे आ पुस्तकाकार क्राउन अने डेमी साईझ बनेमां अमे शुद्धिकरण करेल छे. आ रीते पू. प्रवर्तकश्री जंबूविजयजी महाराज साहेबे आ ग्रंथरत्नना प्रकाशनमा रही गयेल अशुद्धिओनुं शुद्धिकरण करी आपी महान श्रुतभक्ति करेल छे, ते बदल पूज्यश्री प्रत्ये कृतज्ञता व्यक्त करूं छु अने उपकार
मानुं छु.
पू. परमोपकारी प्रवचनप्रभावक आ. श्री कीर्तियशसूरीश्वरजी महाराज साहेबे मने आवा महान ग्रंथरत्ननी श्रुतभक्तिनुं कार्य सोंप्युं, जेना द्वारा नादुरस्त तबियतमां पण मारा चित्तनी प्रसन्नता टकी रही, मारा अध्यवसायोनी निर्मळता थई अने एकाग्रतापूर्वक कलाकोना कलाको सुधी आ ग्रंथरत्ननुं संशोधन, तुलना पाठ, संदर्भस्थानो वि. शोधवामां मारा समयनी सार्थकता थई छे. ___ आ ग्रंथरत्नना पदार्थोना चिंतन-मनन-निदिध्यासन द्वारा मने पोताने तो योगमार्गना पायाथी मांडीने सिद्धिमहेले पहोंचवा माटेनो सम्यग्बोध, सम्यग्रुचि अने सम्यक्परिणतिनी आंशिक प्राप्ति थई छे. सम्यक्त्वनी पूर्वभूमिकाथी मांडीने संपूर्ण योगमार्गना दर्शन मने आ ग्रंथरत्नमां थया छे. अद्भुत-अपूर्व पदार्थोनुं दर्शन अनुभवना स्तर उपर आ ग्रंथवाचन करता थयुं छे. तेथी हितोपदेश ग्रंथरत्न प्रताकार, क्राउन साईझ पुस्तकाकार, डेमी साईझ पुस्तकाकार, त्रणे प्रकाशनोमां आपेल मारुं वर्षोनुं योगदान सफळ थयुं छे, ते बदल मारा जीवननी ए क्षणोनी कृतार्थता अनुभवू छु. प्रांते पूज्यश्रीना उपकारना स्मरणपूर्वक श्रुतभक्ति द्वारा भवांतरमा विशेष योगमार्गने पामी, आराधी निकटना भवोमां परिपूर्ण शुद्ध आत्मस्वरूपने प्राप्त करूं अने मुक्तिमंजीले पहोंचं ए ज शुभकामना.
- वि. सं. २०६१, भादरवा सुद-१, रविवार एफ-२, जेठाभाई पार्क, नारायणनगर रोड, पालडी, अमदावाद-३८०००७
सूरि 'रामचन्द्र' साम्राज्यवर्ती तथा सरळस्वभावी प्रवर्तिनी पू. सा. श्री रोहिताश्रीजी म. ना
शिष्याणु सा. चंदनबालाश्री
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