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उत्तरज्झयणाणि-२ तत्र तावन्नैरयिकानाह
नेरझ्या सत्तविहा पुढवीसू सत्तसू भवे । रयणाभ-सक्कराभा वालुयाभा आहिया ॥१५६॥ पंकाभा धूमाभा तमा तमतमा तहा । इइ नेरझ्या एए सत्तहा परिकित्तिया ॥१५७॥ लोगस्स एगदेसंमि ते सव्वे उ वियाहिया । इत्तो कालविभागं तु तेसिं वुच्छं चउव्विहं ॥१५८॥ संतई पप्प णाईया अपज्जवसिया वि य । ठिई पडुच्च साईया सपज्जवसिया वि य ॥१५९॥ सागरोवममेगं तु उक्कोसेण वियाहिया । पढमाए जहन्नेणं दसवाससहस्सिया ॥१६०॥ तिन्नेव सागरा उ उक्कोसेण वियाहिया । दुच्चाए जहन्नेणं एगं तु सागरोवमं ॥१६१॥ सत्तेव सागरा उ उक्कोसेण वियाहिया । तईयाए जहन्नेणं तिन्नेव उ सागरोवमा ॥१६२॥ दससागरोवमा उ उक्कोसेण वियाहिया । चउत्थीए जहन्नेणं सत्तेव उ सागरोवमा ॥१६३॥ सत्तरससागरा उ उक्कोसेण वियाहिया । पंचमाए जहन्नेणं दस चेव उ सागरोवमा ॥१६४॥ बावीससागरा उ उक्कोसेण वियाहिया । छट्ठीए जहन्नेणं सत्तरससागरोवमा ॥१६५॥ तित्तीस सागरा उ उक्कोसेण वियाहिया । सत्तमाए जहन्नेणं बावीसं सागरोवमा ॥१६६॥ जा चेव उ आउठिई नेरइयाणं वियाहिया । सा तेसिं कायठिई जहन्नुक्कोसिया भवे ॥१६७॥
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