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ध्यानशतकम
१- आरंभिया २- पारिग्गहिया ३- मायावत्तिया ४- मिच्छादसणवत्तिया ५- अपचक्खाणकिरिया ६- दिट्ठिया ७- पुट्ठिया ८- पाडुच्चिया ९- सामंतोवणिवाइया १०- नेसत्थिया ११- साहस्थिया १२- आणमणिया १३- वियारणिया १४- अणाभोगवत्तिया १५- अणवकंखवत्तिया १६- पओगकिरिया १७- समुयाणकिरिया १८- पेज्जवत्तिया १९- दोसवत्तिया २०- ईरियावहिया चेति ।
१ - तत्थारंभिया दुविहा-जीवारंभिया य अजीवारंभिया य जीवारंभिया-जं जीवे आरंभइ, अजीवारंभिया अजीवे आरंभइ ।
२ - पारिग्गहिया किरिया दुविहा-जीवपारिग्गहिया अजीवपारिग्गहिया य, जीवपारिग्गहिया-जीवे परिगिण्हइ, अजीवपारिग्गहिया-अजीवे परिगिण्हइ ।।
३ - मायावत्तिया किरिया दुविहा-आयभाववंचणा य परभाववंचणा य, आयभाववंचणा अप्पणोच्चयं भावं गूहइ नियडीमंतो उज्जुयभावं दंसेइ, संजमाइसिढिलो वा करणफडाडोवं दरिसेइ, परभाववंचणा य तं तं आयरंति जेण परो वंचिज्जइ कूडलेहकरणाईहिं ।
४ - मिच्छादसणवत्तिया किरिया दुविहा-अणभिग्गहियमिच्छादसणवत्तिया य अभिग्गहिमिच्छादसणवत्तिया य, अणभिग्गहियमिच्छादसणवत्तिया असंणीण संणीण वि जेहिं न किंचि कुतित्थियमयं पडिवण्णं, अभिग्गहियमिच्छादसणवत्तिया किरिया दुविहा-हीणाइरित्तदंसणे य तव्वइरित्तदंसणे य, हीणा जहा-अंगुठ्ठपव्वमेत्तो अप्पा, जवमेत्तो, सामागतंदुलमेत्तो, वालग्गमेत्तो, परमाणुमेत्तो हृदये जाज्वल्यमानस्तिष्ठति भ्रूललाटमध्ये वा, इत्येवमादि, अहिगा जहा-पंचधणुसइगो अप्पा, सव्वगओ, अकत्ता, अचेयणो इत्येवमादि, एवं हीणाइरित्तदंसणं, तव्वइरित्तदंसणं नास्त्येवाऽऽत्माऽऽत्मीयो वा भावः, नास्त्ययं लोकः, न परलोकः, असत्स्वभावाः सर्वभावा इत्येवमादि ।
५ - अपञ्चक्खाणकिरिया अविरतानामेव, तेषां न किञ्चिद्विरतिरस्ति, सा दुविहा-जीवअपञ्चक्खाणकिरिया अजीवऽपञ्चक्खाणकिरिया य, न केसुइ जीवेसु अजीवेसु य वा विरती अस्थित्ति ।
६ - दिट्ठिया किरिया दुविहा, तंजहा- जीवदिट्ठिया य अजीवदिट्ठिया य, जीवदिट्ठिया आसाईणं चक्खुदंसणवत्तियाए गच्छइ, अजीवदिट्ठिया चित्तकम्माईणं ।
७ - पुट्ठिया किरिया दुविहा पण्णत्ता-जीवपुट्ठिया अजीवपुट्ठिया य, जीवपुट्ठिया जा जीवाहियारं पुच्छइ रागेण वा दोसेण वा, अजीवाहिगारं वा, अहवा पुट्ठियत्ति फरिसणकिरिया, तत्थ जीवफरिसणकिरिया इत्थी पुरिसं नपुंसगं वा स्पृशति, संघट्टेइत्ति भणियं होइ, अजीवेसु सुहनिमित्तं मियलोमाइ वत्थजायं मोत्तिगादि वा रयणजायं स्पृशति ।
८ - पाडुचिया किरिया दुविहा-जीवपाडुच्चिया अजीवपाडुच्चिया य जीवं पडुच्च जो बंधो सा जीवपाडुच्चिया जो पुण अजीवं पडुच्च रागदोसुब्भवो सा अजीवपाडुच्चिया ।
९ - सामंतोवणिवाइया समन्तादनुपततीति सामंतोवणिवाइया। सा दुविहा-जीवसामंतोवणिवाइया य
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