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चउत्थो उद्देसो
पय[ कर]कन्नोरत्थलमुहकुहरुच्छलियरुहिरगंडूसे । करवत्तूकत्तदुहाविरिक्कवीवन्नदेहद्धे ॥८७॥ जन्तन्तरभिज्जंतुच्छलंतगुरुसद्दभरियदिसिविवरे । डझंतुफि( प्फि)डियसमुच्छलन्तसीसट्ठिसंघाए ॥८८॥ मुक्कक्कंदकराहा ? )कयंतदुक्कयकयंतकम्मेहं। सूलविभिदुक्खित्तुद्धदोह णिन( णिन्ने? )त्तपब्भारे ॥८९॥ बद्धंधयारदुग्गंधबंधणायारदुद्धरकिलेसे । छिन्नकरचरणसंकररुहिरवसादुग्गमपवर वा )हे ॥१०॥ गंधमुहणिंदगुक्खित्तवद्धणोमुद्धकंदिरकबंधे । दढगहियतत्तसंडासयग्गविसमुक्खुडियजीहे ॥११॥ तिक्खंकुसग्गकट्टियकंटयरुक्खग्गजज्जरसरीरे । निवसन्तरं पि दुल्लहसोक्खे वक्खेवदुक्खम्मि ॥१२॥ अच्छिनिमीलियमेत्तं, नत्थि सुहं दुक्खमेव पडिबद्धं । नरए नेइयाणं, अहोनिसिं पच्चमाणाणं ॥१३॥ इय भीसणम्मि नरए, पडंति जे विविहसत्तवहनिरया ।
सच्चब्भट्ठा य नरा, जयम्मि कयपावसंघाया" ॥१४॥ अन्नं च- "लब्भंति गुरुपयोहरनियंबपब्भारवहणसुढियाओ ।
आयंवदीहपम्हललोयणजुयलाओ विलयाओ ॥१५॥ न उण जरमरणरमलकिलेसजंबालवाहिनिट्ठवणा । संसारसायरुच्छंगभमणखिन्नेहिं जिणचलणा ॥१६॥ सियचमरपवरबहुयणतोरणधवलायवत्तपरिकलियं । लब्भइ हयगयदंसणनरवइसयसंकुलं रज्जं ॥९७॥ नारयतिरियनरामरभवसयपरिभव(म)णखेयविज्झवणा । न उणं भवसयदुलहा, जयगुरुणो पायसंपत्ती ॥१८॥
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