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अहवा बालाई दुहाई जीवस्स दससु वि दसासु । अच्छउ पुण विद्धत्ते देहेण विगल्लपुरिसस्स ॥ ३२४॥
भणियं च - "बाला किड्डा मंदा बला य पम्हा य हायणिपवंचा । पारमुम्ही सायणी य दसमा य कालदसा ॥ ३२५ ॥ [ ]
"जायमेत्तस्स जंतुस्स जा सा पढमिया दसा ।
न तत्थ सुह- दुक्खाई बहुं जाणइ बालया ॥ ३२६॥ []
बीयं च दसं पत्तो नाणाकीलाहिं कीलई ।
न तत्थ काम - भोगेहिं तिव्वा उप्पज्जई मही(ई ) ॥ ३२७॥ [ ]
तइयं च दसं पत्तो पंचकामगुणे नरो ।
समत्थो भुंजिउं भोए जड़ से अत्थि घरे धुवा ॥३२८॥ [ ]
जंबुचरियम्
चउत्थी उ बला नाम जं नरो दसमस्सिओ । समत्तो (त्थो) सत्तिं दंसेउं जइ होइ निरुवद्दुओ ॥ ३२९॥ [ ]
पंचमी उदसं पत्तो आणुपुव्वीए जो नरो । इच्छित्थं व चिंतेइ कुटुंबं चाभिकखइ ॥ ३३० ॥[] छट्ठी ओम (उण? ) हायणी नाम जं नरो दसमस्सिओ । विरज्जई य कामेसु इंदियत्थेसु हायई ॥३३१॥ [ ] सत्तमं च दसं पत्तो आणुपुव्वीए जो नरो । नि चिक्कणं खेलं खासई य अणिक्खणं ॥ ३३२ ॥ [ ]
संकुइयबलीचम्मो संपत्तो अट्ठमी दसं । नारीणमभिप्पेओ जराए परिणामिओ ॥ ३३३॥ [ ]
नवमी उ मुम्मुही नाम जं नारो दसमस्सिओ । जराघरे विणस्ते जीवो वसइ अकामओ ॥ ३३४ ॥ [ ]
ही भिन्नस्सरो दीणो विवरीओ विचित्तओ | दुब्बलो दुक्खओवस संपत्तो दसमं दसं " ॥ ३३५॥ [ ] ता सव्वा वि दुक्खं नत्थि सुहं किं पि एत्थ संसारे । इय नाऊणं एवं मा मुज्झह किं पि मुद्धाओ ॥ ३३६ ॥
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