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________________ २१६ अहवा बालाई दुहाई जीवस्स दससु वि दसासु । अच्छउ पुण विद्धत्ते देहेण विगल्लपुरिसस्स ॥ ३२४॥ भणियं च - "बाला किड्डा मंदा बला य पम्हा य हायणिपवंचा । पारमुम्ही सायणी य दसमा य कालदसा ॥ ३२५ ॥ [ ] "जायमेत्तस्स जंतुस्स जा सा पढमिया दसा । न तत्थ सुह- दुक्खाई बहुं जाणइ बालया ॥ ३२६॥ [] बीयं च दसं पत्तो नाणाकीलाहिं कीलई । न तत्थ काम - भोगेहिं तिव्वा उप्पज्जई मही(ई ) ॥ ३२७॥ [ ] तइयं च दसं पत्तो पंचकामगुणे नरो । समत्थो भुंजिउं भोए जड़ से अत्थि घरे धुवा ॥३२८॥ [ ] जंबुचरियम् चउत्थी उ बला नाम जं नरो दसमस्सिओ । समत्तो (त्थो) सत्तिं दंसेउं जइ होइ निरुवद्दुओ ॥ ३२९॥ [ ] पंचमी उदसं पत्तो आणुपुव्वीए जो नरो । इच्छित्थं व चिंतेइ कुटुंबं चाभिकखइ ॥ ३३० ॥[] छट्ठी ओम (उण? ) हायणी नाम जं नरो दसमस्सिओ । विरज्जई य कामेसु इंदियत्थेसु हायई ॥३३१॥ [ ] सत्तमं च दसं पत्तो आणुपुव्वीए जो नरो । नि चिक्कणं खेलं खासई य अणिक्खणं ॥ ३३२ ॥ [ ] संकुइयबलीचम्मो संपत्तो अट्ठमी दसं । नारीणमभिप्पेओ जराए परिणामिओ ॥ ३३३॥ [ ] नवमी उ मुम्मुही नाम जं नारो दसमस्सिओ । जराघरे विणस्ते जीवो वसइ अकामओ ॥ ३३४ ॥ [ ] ही भिन्नस्सरो दीणो विवरीओ विचित्तओ | दुब्बलो दुक्खओवस संपत्तो दसमं दसं " ॥ ३३५॥ [ ] ता सव्वा वि दुक्खं नत्थि सुहं किं पि एत्थ संसारे । इय नाऊणं एवं मा मुज्झह किं पि मुद्धाओ ॥ ३३६ ॥ Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002554
Book TitleJambuchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay, Chandanbalashree
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2009
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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