SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७ चरित वर्णन किया है। हेमचन्द्राचार्य का यह चरितवर्णन प्रायः प्रस्तुत 'जंबुचरियं' के समान ही है । जर्मनी के संस्कृत-प्राकृत वाङ्मय के सुप्रसिद्ध महाविद्वान् स्वर्गवासी डॉ. हेर्मान याकोबी ने हेमचन्द्राचार्य के इस 'स्थविरावलिचरित' का सुसम्पादन कर कलकत्ता की एसियाटिक सोसाइटी द्वारा प्रकाशित कराया था । प्रो० याकोबी ने अपने उक्त सम्पादन में जंबूचरित का इंग्रेजी भाषा में विस्तृत सार भी सम्मिलित कर दिया है। स्थान स्थान में उनने यह भी बताने का प्रयत्न किया है कि जो कथाएँ जंबूचरित में आई हैं वे अन्यान्य किन ग्रन्थों में और किस रूप में मिलती हैं । इन कथाओं का तुलनात्मक अध्ययन की दृष्टि से प्रो० याकोबी का उक्त सम्पादन एक खास अध्ययन की वस्तु हैं । प्रो० याकोबी के उक्त सम्पादन के तुलनात्मक अध्ययन की विशेषता को लक्ष्य कर, जर्मनी के एक ऐसे ही अन्य प्रख्यात विद्वान् प्रो० योहन्नेस हेर्टेलने जर्मन भाषा में इन कथाओं का सुन्दर अनुवाद किया और उनके विषय में प्रो० याकोबी से भी अधिक तुलनात्मक उल्लेखों का समवलोकन कर, एक विशिष्ट अध्ययन की उपयुक्त सामग्री उपस्थित की। जम्बूस्वामी के चरित के साथ इन कथाओं का संकलन कब से हुआ है यह एक शोध का विषय है । जम्बूस्वामी की प्राचीनतम कथा कितनी है और उसमें फिर कालान्तर में किन किन कथाओं का समावेश होता गया-इसका ठीक अध्ययन तो तब ही हो सकता है जब जैन साहित्य में उपलब्ध जम्बूस्वामी विषयक सभी कथाओं का तुलनात्मक एवं ऐतिहासिक क्रम से पर्यालोचन किया जाय । १. हेर्टेल की इस पुस्तक का नाम है - Ausgewählte Erzählungen ous HĒMACANDRAS Pasiśistaparvan mit Einlaitung und Anmerkungen von Johnnes Hertel Leipzig, 1908. इस पुस्तक के प्रास्ताविक रूप में प्रथम तीन प्रकरण लिखे गये हैं जिनका विषय इस प्रकार है-१. हेमचन्द्र का जीवनचरित, २. हेमचन्द्र का परिशिष्ट पर्व, ३. जैन सम्प्रदाय । इसके बाद परिशिष्ट पर्व का सारा कथाभाग, प्रकरण वार, आलेखित किया है और अन्त में उन उन कथाओं के तुलनात्मक अध्ययन के सूचक अन्यान्य साहित्यिक उल्लेखों का भी संकलन किया है । इन उल्लेखों में, भारत के ब्राह्मण, बौद्ध एवं जैन ग्रन्थों के उल्लेखों के साथ युरोप के भिन्न भिन्न साहित्यगत उल्लेखों का भी समावेश किया गया है। ___Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002554
Book TitleJambuchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay, Chandanbalashree
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2009
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy