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आचारांगभाष्यम्
८. नवकोटि परिशुद्ध भिक्षा से जीवन-यापन ९. आहार संबंधी तीन एषणाएं और उनमें भगवान्
की चर्या १०-१२. आजीविका-विच्छेद के प्रति सजग
१३. भोजन के प्रति अनौत्सुक्य
१४. भगवान् की ध्यानमुद्रा और ध्यान १५. भगवान् के ध्यान का उद्देश्य १६. भगवान् का आयतयोग । तपस्या में माया नहीं १७. संकल्पमुक्त होकर विधि की अनुपालना
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