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स्यात् नास्ति
-- कथंचित् नहीं है-यह पदार्थ अतीतके असभावसे पुराना नहीं
है।
स्यात् अवक्तव्य - समसमयमें अवक्तव्य-यह पदार्थ सदसद्-तदुभय-पर्यायसे समसमयमें
अवक्तव्य है। स्यात् अस्ति-नास्ति
कथंचित् है, कथंचित् नहीं है-यह पदार्थ अतीतके सद्भावसे
पुराना और अतीतके असद्भावसे पुराना नहीं है। स्यात् अस्ति अवक्तव्य (सद्भावसे) कंथचित् है, (तदुभयसे) व्यक्त नहीं कर सकते
यह पदार्थ अतीत सद्भावसे पुराना है; तदुभयसे-समसमयमें
व्यक्त नहीं कर सकते। स्यात् नास्ति अवक्तव्य --- (असदभावसे) कथंचित नहीं है, (तदुभयसे) व्यक्त नहीं कर
सकते हैं। यह पदार्थ अतीत असद्भावसे पुराना नहीं हैं,
तदुभयसे समसमयमें व्यक्त नहीं कर सकते हैं। स्यात् अस्ति-नास्ति
(सद्भावसे) कथंचित् है, (असभावसे) कथंचित् नहीं है, अवक्तव्य
(तदुभयसे) अवक्तव्य है। यह पदार्थ अतीत सद्भावसे पुराना है, अतीत असद्भावसे पुराना नहीं है, तदुभय पर्यायसे अवक्तव्य
स्याद्वाद अर्थात् माध्यस्थता-उदारता-विशालता; जिससे प्राप्त होती है वीतरागता-परिपूर्णता-जो 'जैनधर्म' के पर्यायरूपमें स्वीकृत है। (४) अनेकान्त धर्म - जैन सिद्धान्तोंकी गहराईसे अनभिज्ञ कई विद्वान अनेकान्तवादको स्याद्वादका पर्यायी मानते हैं। लेकिन दोनों के लक्ष्यार्थ भेद दृष्टव्य है-'स्यात्'की सप्तभंगी के सहारे द्रव्य या सिद्धान्तोंके सत्य स्वरूपका समसमयमें अपूर्ण दर्शन करते करते सम्पूर्ण दर्शन होना अथवा द्रव्यके संपूर्ण दर्शनकी क्रमसे प्ररूपणा करना-यह स्याद्वाद है, जो 'स्यात्' के बिना अवलंबन असंभव है। जबकि विरोधी भावोंका किसी न किसी अपेक्षा विशेषसे समन्वय करना या दो विरोधी धर्मोंका स्वीकार समान भाव-सापेक्षरूपसे करना-- अनेकान्त है। सर्वज्ञ भगवंतके केवलज्ञानकी बिना निश्रा द्रव्यकी प्ररूपणा एकान्त है अथवा प्ररूपककी दृष्टिमात्र से ही की गई द्रव्य प्ररूपणा एकान्त है; क्योंकि, हमारा ज्ञानलव छद्मस्थताके कारण उसके एक एक अंशको ही जान सकता है। सर्वज्ञके केवलज्ञानकी निश्रा पर आधारित द्रव्यकी प्ररूपणा वह अनेकान्त है, अथवा द्रव्यका सर्वांश-सर्वदेशीय निरूपण-अनेकान्त है । "ऐसा ही है' और 'ऐसा भी है'-ईनमें 'ही' अव्ययसे प्ररूपणा एकान्त है और 'भी' अव्ययसे प्ररूपणा अनेकान्त है। एकान्त ज्ञान, प्रमाणभूत-सर्वांशी ज्ञानका आंशिक रूप है; अर्थात् अनेकान्त रूप प्रमाणभूत संपूर्णज्ञान-वट-वृक्षकी, शाखायें ही एकान्त रूप आंशिक ज्ञान हैं।
एक ही द्रव्यके लिए विभिन्न व्यक्तियोंके भिन्न-भिन्न अभिप्राय हो सकते हैं, लेकिन वे
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