________________
षष्ठम् (रिपु)
द्वि-जिह्विय सर्प, सिंह, मृग, चोर से, अनाज द्वारा विलासिनी स्त्रीओंसे वैर प्राप्त होता है। विकल स्वभाव, कृपण, दुर्भागी, अभिमानी अनेक दोषवाली स्त्रीको प्राप्त करता
घरमें रहे हुए धनके कारण, धर्मके कार्य-हेतु रूप, बंधुवर्गसे, निज स्थान से वैर प्राप्त होता है। गुणों से अभिमानी. धर्म परायण, पुण्यप्रेमी, अच्छे पुत्र जन्मदात्री, जमींदार अनेक प्रकारकी स्त्रीवाला मनुष्योंसे, व्रतसे, मल कोपसे अधिक बुखारसे मृत्यु पाता है। धर्मी, देव-गुरु भक्तिकारक, मनुष्य प्रति प्रेम धारी, अद्भुत
अच्छे मनुष्योंसे, हाथीघोडादि अच्छे पदार्थोंसे, अन्य को ठग लेनेसे वैर प्राप्त करता है। दुष्ट स्वभाव वाली, निर्लज्ज, पर दोष संग्रही, कजियाखोर और अभिमानी स्त्री प्राप्त करता है।
सप्तम (जाया)
अष्टम् (आयु)
नवम (भाग्य-धन)
बाण से, गुप्तांगोके रोगसे, पशु-जलचरोंसे अपने ही स्थानमें मृत्यु पाता है। धर्मी, पितृदेवोंका पूजक, मन घडंत शास्त्र रचयिता, ज्यादा संतोषी, त्रिलोक प्रसिद्ध
खून-विकार, रोग, कीड़े या विषसे अपने स्थानमें मृत्यु पाता है। पाखंड धर्ममें तत्पर, औरोंको दुःखदाता, भक्ति रहित, अन्यका पोषण न करनेवाला होता है। अच्छे कार्यकर्ता, माननीय, देव-गुरु न माननेवाला निर्दयी और नीति हीन होता है। कष्ट, पापकार्य, सुंदर भाषण, अन्यसे प्रपंच द्वारा श्रेष्ठ लाभ प्राप्तकर्ता
दसम
(कर्म)
व्यापारी, धर्मात्मा, नीतिवान, इष्ट पदार्थ-संपत्तियुक्त होता है।
ग्यारह (लाभ)
पूर्ण ज्ञानवान्, परोपकारी, राजातुल्य, यशवान, चोरी की आदतवाला होता है। राजा प्रत्ये विलास, सत्पुरुष सेवा, स्व पराक्रम, आराधना से लाभ प्राप्त करता है। दुष्ट-जन-संग, ठगविद्या, जाति और अधिकारी पुरुषोंकी सेवा और खेती कार्यमें धन व्यय करता है।
विचित्र व्यापार, साधुसेवा, विनयसे लाभ, स्वमतस्तुति करनेसे सुखी होता है। देव-गुरु-श्रुति-स्मृति-बंधु निमित्त, यम-नियम द्वारा लड़कों के लिए, सेवाके लिए प्रसिद्ध धन खर्च करता है।
बारह (व्यय)
दान-दुःख-दुष्ट मित्रकी सेवा, निंदित कार्य, दृष्ट बुद्धि, चोरीका अधिकार ग्रहण करने सेधन खर्च करता है।
प्रथम (लग्न)
मकर राशि संतोषी, चंचल, इरपोक, पापी, कफ-वायुसे पीड़ित, लम्बे अवयवोंवाला, ठग होता है। खेती, परदेशगमनादि अनेक प्रकारसे, प्रपंचसे धनोपार्जक, राजाकी सेवामें तत्पर होता है। संतानयुक्त, अच्छा, स्वभाव, मित्र और देव-गुरु भक्ति तत्पर, धनवान पंड़ित होता
द्वितीय (धन)
कुंभ राशि स्थिर स्थितिवाला, ज्यादावायु वाला, जलसेवी, उत्तम शरीर, रूपवान, स्त्रीवाला, अच्छी संगतवाला फल-फूलादिसे धन प्राप्ति, बड़े पुरुषादिसे प्राप्त, सज्जनोंके भोगयोग्य धनवाला, परोपकारी। नियमोका ज्ञाता,अत्यंत कीर्तिवान, क्षमावान, सत्यभाषी, मित्रता एवं अच्छे स्वभावी, गायक, अधिकारी, दुष्टोंका संगी होता है।
मीन राशि पाणीसे प्रीत, नम्र, अच्छा पंडित, अच्छी याददास्त, पतला शरीर, क्रोधी, पित्तरोगी, कीर्तिवान् नियम व्रतसे धनलाभ, विद्या प्रभावसे धन लाभ या माँ-बापके धनसे धनवान होता है।
तृतीय (पराक्रम)
अधिक धनवान, पुत्रवान, पवित्र धनका संग्राहक, अतिथि प्रेमी, सर्व मनुष्यों का प्रियपात्र होता है।
(93)
Jain Education international
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org