SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आराधना प्रकरण अन्वय : कोडिजणणा कल्लाण जत्थ अणत्थप्पबंध-निद्दलणी जीवदया वण्णिज्जइ सो धम्मो मम सरणं होतु। अनुवाद : करोड़ों मनुष्यों के लिए कल्याणकारी, अनर्थ (अधर्म) के प्रबन्धन का दलन करनेवाला और जीवदया का वर्णन करने वाला, वह धर्म मेरा शरणभूत हो। जो पावभरक्वंतं' जीवं भीमंमि कुगइ कूवम्मि। धारेइ निवडमाणं, सो धम्मो होतु मम सरणं ॥ 45॥ अन्वय : पावभरक्कंतं कुगइ भीमंमि कूवम्मि निवडमाणं जीवं जो धारेइ सो धम्मो मम सरणं होतु। अनुवाद : पाप के भार से आक्रान्त, कुगति (नरक) रूपी भयानक कूप में गिरते हुए जीव को जो धारण करता है, वह धर्म मेरा शरणभूत हो। सग्गापवग्गपुरमग्ग--लग्गलोआण सत्थवाहो जो। भवअडवी लंघण-खमो, सो धम्मो होतु मम सरणं॥ 46॥ अन्वय : जो सग्गापवग्गपुरमग्ग-लग्गलोआण सत्थवाहो भवअडवी लंघण-खमो सो धम्मो मम सरणं होतु। अनुवाद : जो स्वर्ग एवं अपवर्ग (मोक्ष) रूप नगर के मार्ग में लगे हुए लोगों के (जीवों के) लिए सार्थवाह रूप है तथा संसार रूप अटवी को लांघने में समर्थ है, ऐसा वह धर्म मेरा शरणभूत हो। एवं चउण्हं सरणं पवन्नो, निम्विन्नचित्तो' भवचारग्गउं। जंदुक्कडं किंपि समक्खमेसिं,निंदामि सव्वंपिअहं तमिन्हं ।। 47॥ अन्वय : एवं चउण्हं सरणं पवन्नो निम्विन्नचित्तो भवचारग्गउं समक्खमेसिं जं किंपि दुक्कडं तं इन्हं सव्वंपि अहं निंदामि! अनुवाद : इस प्रकार अरिहंत, सिद्ध, साधु व धर्म रूप चार प्रकार के शरण से युक्त, निर्विग्न (उद्विग्न) चित्त वाले होकर संसार की चार गतियों में प्रत्यक्ष (समक्ष) जो कुछ भी दुष्कृत (पाप) हुआ हो, उन सबकी मैं निन्दा करता हूँ। जं इत्थ मिच्छत्तविमोहिएणं,मए भमंतेणं कयं कुतित्थं । मणेण वायाइकलेवरेण', निंदामि सव्वंपि अहं तमिण्हं।। 48॥ 1. (ब) भरूकंतं 2. (अ) सग्गो 3. (ब) निव्वनोचित्तो 4. (ब) तमिण्डिं 5. (अ) कुंतित्थं 6. (ब) कलेवरे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002547
Book TitleAradhana Prakarana
Original Sutra AuthorSomsen Acharya
AuthorJinendra Jain, Satyanarayan Bharadwaj
PublisherJain Adhyayan evam Siddhant Shodh Samsthan Jabalpur
Publication Year2002
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, & Spiritual
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy