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________________ समत्वयोग का महत्त्व हुआ है । विश्व - मैत्री तो दूर रही, परिवार- मैत्री के भी दर्शन नहीं हो पाते । जहाँ मन में भेदभाव, राग-द्वेष, मोह-घृणा आदि विषमताओं का राज्य हो, वहाँ कहाँ मैत्री और कहाँ शान्ति ! .. नैतिक जीवन में भी वैषम्य का राज्य छाया हुआ है । अन्याय-अनीति, झूठ-फरेब, बेईमानी, विश्वासघात, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, चोरी, आदि अनैतिकताएँ ही तो विषमता के स्रोत्र हैं, जिनसे परस्पर अविश्वास, भय, शंका, रोग, शोक चिन्ता और अशान्ति ही अधिक पल्ले पड़ते हैं । राजनैतिक जीवन तो आज अनेक विषमताओं का आगार बना हुआ है। सत्ता के लिए झूठ, षडयन्त्र, तिकड़मबाजी, हत्या, दंगा, हड़ताल, दलबदली, सौदेबाजी आदि समस्त अनैतिक उपायों को आजमाने में कोई कसर नहीं रखी जाती । फिर भला राजनैतिक व्यक्ति के जीवन में सुख-शान्ति कैसे आ सकती है ? आर्थिक जीवन तो अनैतिकता से प्रायः ओत-प्रोत है । वह स्वच्छ और शुद्ध नहीं है । आर्थिक विषमता इतनी अधिक है कि एक को भरपेट रोटी नहीं मिलती जबकि दूसरे को अधिक सरस स्वादिष्ट गरिष्ठ पदार्थ खाने के कारण अजीर्ण हो रहा है । एक की आय सिर्फ २५ रुपये मासिक है, दूसरे की २५०० हम कहग, 4 हम कहेंगे, यह कर्मों का खेल है। जैसे जिसके कर्म, तदनुसार उसे फल मिलता है; परन्तु कर्म भी तो मनुष्य ही करता है । मनुष्य के वैषम्यरूप अशुभ कर्म के फल भी अशुभ मिलेंगे ही, वर्तमान में भी विषमता बढ़ाने वाले अशुभ कर्मकर्ता व्यक्तियों का जीवन अशान्त, दुःखी और बेचैन रहता है । वे रातदिन प्रायः चिन्ता, भय, विक्षोभ, तनाव एवं अशान्ति के शिकार बने रहते हैं । क्या अधिक साधन-सम्पन्न एवं धनाढय व्यक्ति सोना खाकर या चाँदी पीकर जीते हैं ? नहीं, उन्हें भी खाना तो अन्न ही पड़ता है । इन विषमताओं के अतिरिक्त व्यक्तिगत जीवन में राग, द्वेष, ईर्ष्या, भय, स्वार्थ, काम, क्रोध, लोभ, मोह, घृणा, विश्वासघात, अन्धश्रद्धा, मिथ्याश्रद्धा, अविवेक, अज्ञान, बहम आदि के कारण मनुष्य विषमता के गर्त में पड़ा कराह रहा है, दुःख से, पीड़ा से, मानसिक बेचैनी से । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002545
Book TitleSamatvayoga Ek Samanvay Drushti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherNavdarshan Society of Self Development Ahmedabad
Publication Year
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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