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समत्व - योग प्राप्त करने की क्रिया - सामायिक
१९९ सामायिक को अलग किया, अलग करना भूल गये । नवें सामायिक व्रत में कोई दूसरा अतिचार पक्ष या दिन में, सूक्ष्म और स्थूल रूप में, जाने-अनजाने हुआ हो तो वे सबके लिए मन, वचन और काया से क्षमा चाहता हूँ।
व्रत में अतिचार प्रवेश न हो इसलिए अथवा प्रवेशित अतिचार का निवारण के लिए सम्यक्त्वादि का अनुष्ठान आवश्यक है। ऐसे अनुष्ठान से जीव में एक प्रकार की सबल शक्ति का प्रवेश होता है और क्रियाएँ प्रणिधान पूर्वक होती हैं। अतिचार के स्पर्श से व्रत-भंग हो इसके बजाय व्रत ही नहीं करना ऐसा दावा उचित नहीं क्योकि अतिचार से व्रतभंग नहीं होता। तदुपरांत अविधिपूर्वक व्रत करने वाले की अपेक्षा व्रत न करने वाले को अधिक दोष लगता है। तदुपरांत सामायिक को शिक्षाव्रत माना गया है। उसका मतलब यही कि उसमें मन, वचन और काया को वश करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है।
अज्ञान प्रमाद, पूर्वकर्म का उदय, जरा, व्याधि , अशक्ति आदि के कारण यदि दोषस्पर्श होता है तो ऐसे अतिचार से व्रतभंग नहीं होता। लेकिन जानबूझकर, हेतुपूर्वक अनादर या विडंबना करने के भाव या हेतु से अतिचार का सेवन कोई करे तो उससे अवश्य व्रत भंग होता है। वैदिक सन्ध्या और सामायिक
प्रत्येक धर्म के आचार-व्यवहार में प्रतिदिन कुछ-न-कुछ पूजा-पाठ, जप-तप, प्रभुनाम-स्मरण आदि धार्मिक क्रियाएँ की जाती हैं। मानवजीवन सम्बन्धी प्रतिदिन की आध्यात्मिक भूख की शान्ति के लिए, एवं मन की प्रसन्नता के हेतु प्रत्येक पन्थ या मत ने कोई-न-कोई योजना, मनुष्य के सामने अवश्य रखी है।
वैदिक धर्म में भी सन्ध्या नाम से एक धार्मिक अनुष्ठा का विधान है, जो प्रात: और सायंकाल दोनों समय किया जाता है। वैदिक टीकाकारों ने सन्ध्या का अर्थ इस प्रकार किया हैं-स-उत्तम प्रकार से ध्यै-ध्यान करना । अर्थात् अपने इष्टदेव का पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ ध्यान करना, चिन्तन करना । सन्ध्या शब्द का दूसरा अर्थ है मिलन, संयोग, सम्बन्ध । उक्त दूसरे अर्थ का तात्पर्य है उपासना के समय परमेश्वर के साथ उपासक का संबन्ध यानी मिलना। सन्ध्या का एक तीसरा अर्थ भी है, वह यह कि प्रात:काल और सायंकाल दोनों सन्ध्याकाल हैं । रात्रि और दिन की सन्धि प्रात:काल है, और दिन एवं रात्रि की सन्धि सायंकाल है। अत: सन्ध्या में किया जानेवाला कर्म भी ‘सन्ध्या' शब्द से व्यवहत होता है।
वैदिक धर्म की इस समय दो शाखाएँ सर्वतः प्रसिद्ध हैं : सनातन धर्म और आर्य समाज।
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