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देशावकासिक व्रत छठे दिशि तथा सातवें भोग- परिभोग परिमाण व्रत इन दोनों व्रतों का ही विशेष रूप है। छठे तथा सातवें व्रत में दिशा व भोग्य वस्तुओं की जो मर्यादा की है उसे प्रतिदिन के लिये लागू करना इस व्रत का उद्देश्य है। पौषध व्रत में सांसारिक प्रवृत्तियों से एक दिन के लिये विश्राम लेना होता है। इसमें साधुत्व का आचरण करना है, साधुत्व (त्याग) का रस चखना है । विश्राम से शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, विवेक का उदय होता है, संवेदनशक्ति का विकास होता है अर्थात् आत्मिक गुणों का पोषण होता है।
12. अतिथि संविभाग व्रत
गृहस्थ जीवन में दान का बहुत महत्त्व है। गृहस्थ जीवन का भूषण न्यायपूर्वक उत्पादन व उपार्जन करना तथा उसे आवश्यकता वाले लोगों में वितरण करना है । जो उत्पादन व उपार्जन नहीं करता है वह अकर्मण्य व आलसी है, यह गृहस्थ जीवन के लिये दूषण है। इसी प्रकार जो उत्पादन करके संग्रह करता है वह भी दूषण है। गृहस्थ जीवन की सुन्दरता व सार्थकता अपनी न्यायपूर्वक उपार्जित सामग्री सें बालक, वृद्ध, रोगी, सेवक, संत, महात्मा आदि उन लोगों की सेवा करने में है जो उपार्जन करने में असमर्थ हैं।
जैन धर्म में तप का बड़ा महत्त्व है। तप में १. अनशन २. ऊनोदरी - भूख से कम खाना ३. आयंबिल - रस परित्याग आदि सम्मिलित हैं। ये सभी तप भोजन से होने वाले प्रदूषणों को दूर करते हैं। उदर को अतिभोजन तथा गरिष्ठ भोजन को पचाने में कठिनाई होती है। जिससे पाचनशक्ति कमजोर हो जाती है तथा पेट में सडान्ध पैदा हो जाती है जो गैस (वायु) बनाती है, जिससे अनेक रोग पैदा होते हैं। कहा जाता है कि सभी रोगों की जड़ उदर विकार है, पेट की खराबी है। यह पेट की खराबी तथा इससे संबंधित अगणित रोग उपवास, ऊनोदरी तथा आयंबिल से मिट जाते हैं। रूस में तो सभी रोगों के उपचार के लिये उपवास चिकित्सा प्रचलित है। पूज्य श्री घासीलाल जी म. सा. ने हजारों रोगियों का रोग आयंबिल तप से ही दूर किया था। आयंबिल में एक ही प्रकार का घृत, तेल आदि विंगय से रहित भोजन किया जाता है, जिससे जितनी भूख है उससे अधिक भोजन से बचा जा सकता है। एक ही रस के भोजन में आमाशय को अनजाईम - जिनसे भोजन पचता है बनाने में कठिनाई नहीं होती है। इसीलिये आस्ट्रेलिया निवासी प्रायः एक समय में एक ही रस का भोजन करते हैं। यदि मीठे स्वाद की वस्तुएँ खाते हैं तो उनके साथ खट्टे नमकीन आदि स्वाद की वस्तुएँ नहीं खाते हैं। तात्पर्य यह है कि शारीरिक रोगरूप
स्वाध्याय शिक्षा
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