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भौतिकरूप से यह जीव विज्ञान का विषय है, पर आध्यात्मिक रूप से यह पराविज्ञान का विषय है। यह माना जाता है कि सामान्य जीव, अपनी अनेक प्रकार की ऊर्जाओं या शक्तियों को अनेक दिशाओं में प्रयुक्त करता है।
इससे ऐसा प्रतीत होता है कि उसमें आत्म-शक्ति / ऊर्जा है। अध्यात्म विज्ञान कहता है कि आत्मा में अनंत शक्ति है, केवल उसका विकास करना है । इसके लिये उसे अनेक दिशाओं से अपने उपयोग को हटाकर एक साथ एक ही दिशा में लगाना होगा। इस एकदिशीकरण से उसकी ऊर्जा कम व्ययित होगी और अंतरंग ऊर्जा में वृद्धि होगी। यही नहीं, यदि निवृत्ति मार्ग अपनाया जाय और आहार - निहार आदि का संयम किया जाय तो यह अंतरंग ऊर्जा और भी बढ़ सकती है। अध्यात्म-विज्ञान का मुख्य लक्ष्य अंतरंग ऊर्जा की वृद्धि का चरमोत्कर्ष करना है।
इस अध्यात्म पथ पर निवृत्तिमार्गी या पलायनवादी होने का आरोप पश्चिमी विचारक लगाते रहे हैं। यह उनके तत्कालीन अज्ञान के कारण था। अब स्थिति काफी बदल गई है। अब 'अहादो निवित्ती' 'सुहे पवित्ती' के सकारात्मक पक्ष को प्रशस्त किया जाता है। यही नहीं महात्मा भगवानदीन ने श्रावकों की ग्यारह प्रतिमाओं को भी व्यक्तिवाद से समाजवाद की ओर बढ़ने के आध्यात्मिक प्रक्रम के रूप में बताया है। शुभ प्रवृत्तियों का विज्ञान ही अध्यात्म विज्ञान है।
प्रायः सभी आगम इसे मुक्ति का या साधु का मार्ग कहते हैं। इस मार्ग में ज्ञान, दर्शन और चारित्र की त्रिवेणी में स्नान करना पड़ता है। इनमें भी चारित्र की बात मुख्य है, क्योंकि यह जीव की मन-वचन-कायात्मक प्रवृत्तियों का चक्र है जिसे एकदिशीकृत किया जाता है। आगमों में एतदर्थ कई उपाय बताये हैं-जप, तप, उपवासादि व्रत, ध्यान-योग आदि। इनका संक्षिप्त और विस्तृत वर्णन अनेक आगमों में पाया जाता है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टि से यह माना जाता है कि हमारी अनेक प्रवृत्तियाँ मन या संकल्प प्रेरित होती हैं। अतः मन का नियन्त्रण एवं एकदिशीकरण करना लाभकारी होती है। मन के विषय में शास्त्रों में अच्छा विवरण है और वस्तुतः अध्यात्म-विज्ञान मनो- नियन्त्रण, भाव- नियन्त्रण या भाव -शुद्धि का विज्ञान ही है। यह मनोविज्ञान का विषय भी बन गया है।
मनो- नियन्त्रण के लिये साधुचर्या में आहार - नियन्त्रण प्रमुख है। निर्दोष आहार की बात प्रायः सभी आगमों में बताई गई हैं। अचित्त भक्षण प्रायः सर्वत्र प्रतिपादित है। दिनचर्या की विविधता को एकदिशीकृत किया गया है। फलतः आगमों
स्वाध्याय शिक्षा
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