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है। रानी सुबुद्धि बताती है कि या तो निज स्वरूप का चिन्तन करो या भगवान का भजन। इतना सुनकर चेतन राजा तो मौन हो गया किन्तु दूसरी पत्नी कुबुद्धि क्रुद्ध होकर बोली कि यह कुलक्षयनी नारी कौन है? मैं राजा मोह की पुत्री हूँ। राजा चेतन के मुख पर स्मित की एक रेखा खिंच गई, बोले-"अब मेरा हृदय उत्तम गुणों की खान इस सुबुद्धि नारी पर अनुरक्त हो गया है, तुमसे मुझे अब स्नेह नहीं है।" राजा का स्पष्ट एवं कटु उत्तर सुनकर कुबुद्धि रानी अपने पिता राजा मोह के पास चली गई। पिता ने उसे सांत्वना देते हुए कहा- 'बेटी, तुम मन में दुखी मत हो, मैं राजा चेतन को बंधवाकर अभी तुम्हारे पास बुलाता हूँ। तब राजा मोह ने दौत्य कर्म में निपुण काम कुमार को बुलाकर राजा चेतन के पास भेजा कि उससे जाकर कहो कि अन्यायी और अधर्मी राजा तूने विवाहिता पत्नी को क्यों त्याग दिया है ? या तो आकर उससे क्षमा मांगो अन्यथा हमसे युद्ध करने को तैयार हो जाओ।' दूत के द्वारा राजा चेतनराय का दो टूक उत्तर-'अब याको हम परसें नाहिं, निजबल राज करें जगमाहिं' सुनकर राजा मोह क्रोध से भर उठा और सेनापति लोभ को सैन्य दल तैयार कर राजा चेतनराय को घेरकर बंदी बनाने का आदेश दिया। उसके मन्त्री राग
और द्वेष ने भी परस्पर परामर्श कर चेतनराय को पराजित करने के अनेक उपाय सुझाये। जीव के ज्ञान गुण को आवत करने वाले ज्ञानावरण (कर्म) ने कहा कि मेरे पास पांच प्रकार की सेनाएं हैं। (देखिये परिशिष्ट कर्म के अन्तर्गत) जिनका आक्रमण होते ही मनुष्य अपने आत्म ज्ञान को भूल जाता है। दर्शनावरण ने कहा कि मेरे प्रभाव से मनुष्य मोह में अंधा होकर सम्यक् बुद्धि खो देता है। इसी प्रकार मोहिनी, नाम, गोत्र, आयु, वेदनीय और अन्तराय नाम के सरदारों (अष्टकर्म) ने भी अपनी-अपनी विशेषताएं बताई। इस प्रकार राजा मोह ने अपने समस्त शूरवीरों को एकत्र किया और अपनी अपार शक्ति देखकर अट्टहास करने लगा, युद्ध की तैयारियां हो गई और राग तथा द्वेष को अग्रिम मोर्चे पर नियुक्त कर राजा मोह की सेना आनन्दमग्न होती हुई रणक्षेत्र की ओर चली। इधर राजा चेतनराय ने गुप्तचरों के माध्यम से जब राजा मोह के आक्रमण की सूचना प्राप्त की तो उसने भी अपने समस्त शूरवीरों को एकत्र किया। ज्ञान ने कहा कि 'राजन निर्भय होकर युद्ध कीजिये और मोह का गर्व चूर कीजिये, विजय निश्चय ही हमारी है।" राजा चेतनराय ने ज्ञान को आदेश दिया कि अपना सैन्यदल सजाओ। दर्शन चरित्र, सुख वीर्य, स्वभाव, विवेक, उद्यम, सन्तोष, धैर्य, सत्य, उपशम आदि कितने ही सुभट योद्धा एकत्र
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