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________________ अध्याय -3 कृतियों का परिचय रूपक काव्य साहित्य में रूपक शब्द का प्रयोग अनेक रूपों में होता है। "रूपक के हमारे साहित्यशास्त्र में दो अर्थ हैं, एक तो साधारणतः समस्त दृश्य-काव्य को रूपक कहते हैं, दूसरे रूपक एक साम्यमूलक अलंकार का नाम है, जिसमें प्रस्तुत पर अप्रस्तुत का अभेद आरोप रहता है। इन दोनों से भिन्न रूपक का तीसरा अर्थ भी है जो अपेक्षाकृत अधुनातन अर्थ है और इस नवीन अर्थ में रूपक अंग्रेजी के 'एलिगरी' का पर्याय है। 'एलिगरी' एक प्रकार के कथा रूपक को कहते हैं। इस प्रकार की रचना में प्रायः एक द्वयर्थक कथा होती है जिसका एक अर्थ प्रत्यक्ष और दूसरा गूढ़ होता है। हमारे यहाँ इस प्रकार की रचना को प्रायः 'अन्योक्ति' कहा जाता था। जायसी के पद्मावत के लिए आचार्य शुक्ल ने इसी शब्द का प्रयोग किया है। रूपक के इस नवीन अर्थ में वास्तव में संस्कृत के रूपक और अन्योक्ति दोनों अलंकारों का योग है। इसमें जहाँ एक ओर साधारण अर्थ के अतिरिक्त एक अन्य अर्थ-गूढार्थ रहता है, वहाँ अप्रस्तुत अर्थ का प्रस्तुत अर्थ पर श्लेष, साम्य आदि के आधार पर अभेद आरोप भी रहता है। कहने का तात्पर्य यह है कि रूपक-अलंकार में जहाँ प्रायः एक वस्तु का दूसरी वस्तु पर अभेद आरोप होता है, वहाँ कथा-रूपक में एक कथा का दूसरी पर अभेद आरोप होता है। वहाँ एक कथा प्रस्तुत और दूसरी अप्रस्तुत रहती है। प्रस्तुत कथा स्थूल, भौतिक घटनामयी होती है और अप्रस्तुत सूक्ष्म सैद्धान्तिक होती है। ..... इस प्रकार, इस विशिष्ट अर्थ में रूपक से तात्पर्य एक ऐसी द्वयर्थक कथा से है जिसमें किसी सैद्धान्तिक अप्रस्तुतार्थ अथवा अन्यार्थ का प्रस्तुत अर्थ पर अभेद आरोप रहता है। पंडित परमानन्द शास्त्री के अनुसार अमूर्तभावों को मूर्त रूप में चित्रण करना ही रूपात्मक साहित्य है। हृदय-स्थित अमूर्तभाव इतने सूक्ष्म और अदृश्य होते हैं कि उनका इन्द्रियों द्वारा साक्षात्कार नहीं हो पाता। परन्तु जब उन्हें रूपक उपमा के सांचे में ढालकर मूर्तरूप दिया जाता है तब इन्द्रियों द्वारा उनका सजीव रूप में (35) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002541
Book TitleBhaiya Bhagavatidas aur Unka Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Jain
PublisherAkhil Bharatiya Sahitya Kala Manch
Publication Year2006
Total Pages252
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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