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________________ कैऊ तज जाहिं अटा, कैऊ धेरै चेरी चटा, कैऊ पढे पट कैऊ धूम गटकत हैं।। कैऊ तन किये लट, कैऊ महा दीसै कटा, केऊ तरतटा कैऊ रसा लटकत हैं।। भ्रम भावते न हटा हिये काम नाही घटा, विषै सुख रटा साथ हाथ पटकत हैं।।''30 इस प्रकार धर्म की दृष्टि से समाज अनेक सम्प्रदायों में विभाजित था। एक ओर तो धर्म में शृंगारिकता का प्रवेश हो जाने के कारण वह रसातल को जा रहा था तो दूसरी ओर सामान्य जनता बाह्य क्रियाकांड तथा तंत्र-मंत्र विद्या को ही धर्म मान बैठी थीं ऐसी स्थिति में एक वर्ग ऐसा भी था जो तत्कालीन परिस्थितियों से पूर्णत: तटस्थ रहकर एकान्त आत्मसाधना में लीन था। साहित्यिक परिस्थितियां साहित्यिक दृष्टि से यह युग रीतिकालीन कविता का युग है। रीतिकालीन कविता साहित्य और समाज के अन्योन्याश्रय सम्बंध का उत्तम उदाहरण है। वैसे तो शाहजहां के समय से ही हिन्दी कवियों ने हिन्दू राजाओं के दरबार में आश्रय लेना आरम्भ कर दिया था, औरंगजेब के समय में तो उनका मुगल दरबार से नितान्त विच्छेद हो गया। औरंगजेब साहित्य तथा संगीत आदि कलाओं का विरोधी था। "वह कट्टर सुन्नी मुसलमान था और इस सम्प्रदाय में जीवन के रागात्मक तत्वों के प्रति एक प्रकार का कठोर भाव मिलता है। सौन्दर्य, ऐश्वर्य और विलास का त्याग उसमें अनिवार्य है। फलत: जीवन के रागात्मक तत्वों को अभिव्यक्ति प्रदान करने वाली कलाओं तथा साहित्य के लिए औरंगजेब के 'आदर्श राज्य' में कोई स्थान नहीं था। औरंगजेब के सिंहासनारोहण के पश्चात् ग्यारह वर्ष तक कुछ कलावंत और कवि किसी प्रकार उसके दरबार में बने रहे, परन्तु अन्ततोगत्वा उन्हें बिलकुल निकाल दिया गया।31 अतः कवियों ने राजस्थान के नरेशों और सामन्तों की छत्रछाया में आश्रय लिया। राजनैतिक प्रश्रय के अभाव तथा घोर अव्यवस्था के युग में साहित्य और कला की उन्नति वैसे ही कठिन होती है, सम्राट के विरोध ने उसके विकास के सभी अवसर समाप्त कर दिये। इस समय जनता का बौद्धिक और नैतिक ह्रास हो रहा था। औरंगजेब की संकुचित मनोवृति ने मुसलमानों में यह भावना भर दी थी कि उनकी (29) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002541
Book TitleBhaiya Bhagavatidas aur Unka Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Jain
PublisherAkhil Bharatiya Sahitya Kala Manch
Publication Year2006
Total Pages252
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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