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में भी पर्याप्त सुधार किया गया। इसके लिए जैन कवियों ने औरंगजेब की प्रशंसा की है।''20 घोर अव्यवस्था और नैराश्य के इस युग में भी कुछ कवि तटस्थ भाव से आध्यात्मिक आनन्द में लीन होकर काव्य-साधना कर रहे थे। धार्मिक परिस्थितियाँ
औरंगजेब कट्टर सुन्नी मुसलमान था। उसकी धार्मिक नीति अत्यन्त भेदभावपूर्ण थी। उसने धर्म को राजनीति का आधार बनाया था। इस्लाम धर्म को राजकीय संरक्षण प्राप्त था, हिन्दुओं को वह हीन दृष्टि से देखता था। वस्तुतः भारत में इस्लाम राज्य की स्थापना करना ही उसका उद्देश्य था। "सम्पूर्ण जनसमाज को इस्लाम धर्म में दीक्षित कर उसका धर्म परिवर्तन करना और हर प्रकार के धार्मिक मतभेदों को मिटा देना ही मुसलमानी राज्य का आदर्श है। किसी भी मुसलमानी समाज में कोई काफ़िर रहने दिया जाता है तो केवल इसी कारण कि इस दोष को मिटाना जब सम्भव नहीं हो। 21 औरंगजेब ने भी इसी आदर्श को अपनाया। उसके राज्य में राजकीय महत्वपूर्ण पदों पर हिन्दुओं की नियुक्ति नहीं की जाती थी। हिन्दू धर्म को समूल नष्ट करने का उसने भरसक प्रयास किया। प्रस्तुत उदाहरणों से उसकी दमन नीति का पर्याप्त परिचय प्राप्त हो जाता है। "सन् 1644 में जब वह गुजरात का सूबेदार था, तब उसने अहमदाबाद में तत्काल ही बने हुए चिन्तामणि के हिन्दू मन्दिर में गो-हत्या करवा कर उसे भ्रष्ट करवा दिया, और बाद में उस मन्दिर को मस्जिद में बदल दिया।"22 "अगस्त 1669 ई0 में बनारस के विश्वनाथ मन्दिर को गिरा दिया गया। बुन्देले राजा वीरसिंह देव द्वारा 33 लाख रुपयों की लागत से बनवाया हुआ मथुरा का सबसे शानदार देवालय-केशवराय का मन्दिर-जनवरी 1670 ई0 को धराशायी कर दिया गया और उसके स्थान पर मस्जिद बनवा दी गई। इस मंदिर की मूर्तियां आगरा लाई गई और उन्हें जहांआरा मस्जिद की सीढ़ियों पर लगा दिया गया जिससे वे नमाज पढ़ने के लिए भीतर जाने वाले मुसलमानों के पैरों से लगातार ख़ुदती रहें। इसी समय के आस-पास काठियावाड़ प्रायद्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित सोमनाथ का मंदिर ढा दिया गया और उसमें होने वाली पूजा आदेश देकर बन्द करा दी गई। जिन अन्य छोटे धार्मिक भवनों को विनाश लीला का शिकार होना पड़ा, उनकी तो गणना ही नहीं की जा सकती। अकेले मेवाड़ में 1679-80 ई0 को राजपूत युद्ध के साथ 240 मंदिर नष्ट किए गए, जिनमें सोमेश्वर का प्रसिद्ध
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