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बनाये रखा। अनेकों में से कुछ उदाहरण यहां प्रस्तुत हैं । " जाटों का सरदार गोकुल अपने परिवार सहित कैद करके लाया गया। यहां पर पुलिस चौकी के दालान में उसके अंगों के टुकड़े-टुकड़े कर डाले गए और उसके परिवार को जबरदस्ती मुसलमान बना लिया गया। 7 1675 ई0 में सिख गुरु तेगबहादुर को बंदीगृह में भयंकर यातनाएं दे देकर मार डाला गया। 1689 ई0 में शिवाजी के पुत्र शम्भा जी को बंदी बना लिया गया, उसी रात उसकी आखें फोड़ दी गईं। दूसरे दिन कवि कलश की जीभ काट दी गई और पन्द्रह दिन तक रोजाना उन्हें हर तरह सताया गया। इसके बाद कैदियों को पोरेगांव भेजा गया, जहां उन्हें 21 मार्च को बड़ी निर्दयता के साथ मार डाला गया और उनके शरीर के • टुकड़े करके कुत्तों को डाल दिए गए। उनके सिरों में भूसा भरकर दखिन के मुख्य-मुख्य नगरों में ढोल पीट-पीट कर घुमाया गया। औरंगजेब अपनी सन्तान के प्रति भी अत्यधिक निर्मम था। उसके सबसे बड़े पुत्र मुहम्मद सुलतान की बंदीगृह में ही 1676 ई0 में मृत्यु हो गई। दूसरा पुत्र मुअज्जम, जो उसके पश्चात् बहादुरशाह के नाम से सिंहासनासीन हुआ 21 फरवरी 1687 ई0 से 9 मई 1695 ई0 तक बंदीगृह में रहा । उसका चौथा पुत्र अकबर उसके कारण भारत छोड़कर फारस चला गया और वहीं सन् 1704 ई0 में उसकी मृत्यु हुई। इसी प्रकार उसकी एक पुत्री जेबुन्निसा भी बंदीगृह में ही मृत्यु का ग्रास बनी थी । " वह अपने सभी पुत्र एवं पुत्रियों के प्रति संदेह रखता था और उनके चारों ओर गुप्तचर लगाए रखता था जो उसे उनकी सब गतिविधियों से सदा परिचित कराते रहते थे। 9 इन सब तथ्यों से तत्कालीन राजनैतिक अव्यवस्था, अराजकता, असुरक्षा एवं क्रूरतापूर्ण वातावरण पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है जिससे तत्कालीन समाज और साहित्य सभी प्रभावित हुए।
सामाजिक परिस्थितियाँ
यह युग घोर अव्यवस्था का युग था । यद्यपि भारतीय इतिहास यहां के सम्राटों का जीवन तथा उनकी विजय पराजय का ही लेखा जोखा प्रस्तुत करता है, तथापि उससे सामान्य जनता की झलक भी यदा-कदा मिल जाती है। तत्कालीन समाज को दो वर्गों में सरलता से विभाजित किया जा सकता हैशोषक और शोषित। जिनके ऊपर सम्राट का वरद हस्त रहता था वे ही लोग अपने अधीनस्थ तथा सामान्य जनता का अबाध शोषण करते थे। भारत का
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