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________________ इस प्रकार भारत में मुगल साम्राज्य का सूर्य जो बाबर के साथ उदित हुआ था, अकबर के राज्यकाल में अपनी प्रखरतम किरणे विकीर्ण कर, औरंगजेब का शासन आरम्भ होते ही अस्ताचल की ओर उन्मुख हो गया और मुगलवंश के अन्तिम शासक बहादुरशाह जफर' के साथ सन् 1857 ई0 (सम्वत् 1914 वि0) में पूर्णतः अस्त हो गया। डॉ० नगेन्द्र ने ठीक ही लिखा है "सम्वत् 1700 से 1900 तक भारत का राजनीतिक इतिहास चरम उत्कर्ष को प्राप्त मुगल साम्राज्य की अवनति के आरम्भ और फिर क्रमशः उसके पूर्ण विनाश का इतिहास है। मध्य युग में सम्पूर्ण राज्यशक्ति का एकमात्र अधिपति सम्राट ही होता था। समस्त अधिकार उसके हाथ में ही केन्द्रित होते थे अतः उस युग की चेतना उसके व्यक्तित्व से ही अनुप्राणित होती थी। इस समय मध्यकालीन राजनीतिक व्यवस्था का आधार था व्यक्तिवादी निरंकुश राजतंत्र। इस प्रकार की व्यवस्था में शासक ही राष्ट्र के भाग्य का विधाता, युगचेतना का नियामक तथा कुछ सीमा तक एक विशिष्ट जीवन दर्शन का प्रतिपादक भी होता है। सम्राट पूर्णतः स्वेच्छाकारी होता था, उसके ऊपर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं होता था। औरंगजेब भी इसी प्रकार का सम्राट था। उसका राज्य विभिन्न प्रान्तों अथवा सूबों में विभाजित था जो सबेदारों के अधीन रहते थे। बहत से जागीरदार और मनसबदार होते थे। उनके पास अपनी-अपनी सेनाएं होती थी, उन्हें पंचहजारी, छः हजारी आदि मनसब प्रदान किए जाते थे, यह एक प्रकार का राजकीय सम्मान था, आवश्यकता पड़ने पर वे अपनी-अपनी सेनाएं लेकर सम्राट की ओर से युद्ध करने जाते थे। इस प्रकार यह सामन्तवादी युग था। इन सामन्तों का मुख्य कार्य सम्राट को प्रसन्न रखना तथा अधीनस्थ प्रजा का शोषण करना था। औरंगजेब की राजनीति मुख्यतः धर्म पर आधारित थी। वह कट्टर सुन्नी मुसलमान था। वह हिन्दुओं का तो विरोधी था ही, शिया मुसलमानों का भी विरोध करता था उसकी नीति भेदभावपूर्ण थी। राज्य के ऊँचे पदों पर नियुक्ति योग्यता के आधार पर नहीं अपितु धर्म के आधार पर होती थी, अत: योग्य व्यक्तियों की सेवाएं और विश्वास उसने प्राप्त नहीं किया, इसके विपरीत इस पक्षपातपूर्ण व्यवहार के कारण पारस्परिक ईर्ष्या, द्वेष तथा दमित रोष का वातावरण बना रहाता था। अधिकारी सामान्यतः विलासी और भ्रष्टाचारी होते थे। घूस और उत्कोच (रिश्वत) निसंकोच रूप से ली जाती (18) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002541
Book TitleBhaiya Bhagavatidas aur Unka Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Jain
PublisherAkhil Bharatiya Sahitya Kala Manch
Publication Year2006
Total Pages252
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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