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अध्याय
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तत्कालीन परिस्थितियाँ
भैया भगवतीदास का रचनाकाल सं0 1731 से 1755 वि0 तक है। इस समय भारत के राजसिंहासन पर मुगलवंशीय सम्राट औरंगजेब आसीन था । उसने 21 जुलाई सन् 1658 ई0 को राज्य हस्तगत किया तथा 20 फरवरी 1707 ई0 को उसकी मृत्यु हुई, 1 अर्थात् उसने सम्वत् 1715 वि0 से सं0 1764 वि0 तक राज्य किया। सामान्यतया कवि समाज से प्रभावित होता है और समाज तत्कालीन राजनीति से, किन्तु प्रत्येक सामान्य नियम के साथ उसके अपवाद भी उपस्थित रहते हैं। तत्कालीन जैन कवि अपने समय की समस्त विषमताओं के गरल को आत्मसात् करके आध्यात्मिक आनन्द सुधा की वर्षा कर रहे थे। तत्कालीन राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक परिस्थितियों का विस्तार से अवलोकन करके हम देखेंगे कि भैया भगवतीदास अपने युग से कहां तक प्रभावित हुए हैं। राजनैतिक स्थिति
पानीपत के दूसरे युद्ध (सन् 1556 ई0 ) के पश्चात् मुगल साम्राज्य के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रतापी सम्राट अकबर का राज्यकाल आरम्भ हुआ। अकबर, जहाँगीर तथा शाहजहां का शासनकाल सुख शान्ति एवं समृद्धिपूर्ण रहा। तत्पश्चात् औरंगजेब ने उत्तराधिकार के लिए युद्ध करके राज्यसत्ता को सन् 1658 ई0 में (सम्वत् 1715 वि0 ) में हस्तगत किया तथा उसने सन् 1707 ई0 (सम्वत् 1764 वि0 ) तक मृत्युपर्यन्त राज्य किया। उसका राजत्वकाल घोर अशान्ति और अव्यवस्था का युग था, जिस शासन की नींव ही आहों, आंसू और रक्त की धाराएं बहा कर रखी गई हो, उससे और अपेक्षा भी क्या की जा सकती थी? सर्वविदित ही है कि उसने अपने वृद्ध पिता शाहजहां को उसका शेष जीवन बंदी के रूप में व्यतीत करने के लिए विवश किया था, अपने बड़े भाई तथा साम्राज्य के उत्तराधिकारी दारा शिकोह का अपमानपूर्ण एवं करुण अंत किया। अपने छोटे भाई शुजा और मुराद के सहयोग से राज्यसत्ता प्राप्त की और उसके पश्चात् छल से उन्हें मृत्यु का ग्रास बना दिया।
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