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________________ 'मान सिंह भैया भगवतीदास जी का परम मित्र था । ' ब्रह्मविलास, पृ0 सं0 112. 5. 'द्रव्य संग्रह' नाम की रचना 'भैया' के मित्र मान सिंह की रची हुई है। 'डॉ0 प्रेमसागर जैन, हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि, पृ0 सं0 270. 6. 'इहविधि ग्रंथ रच्यो सुविकास, मानसिंह व भगौतीदास ।' भैया भगवतीदास, दव्यसंग्रह कवित्त बंध, दोहा छं0 सं0 6. 'भैया नाम भगवतीदास। प्रगट होहु तसु ब्रह्म विलास । । ' ब्रह्मविलास, ग्रन्थकर्ता परिचय पृ0 सं0 10, छं0 सं0 305. 8. (अ) भविक तुम वंदहु मन धर भाव, जिन प्रतिमा जिनवरसी कहिये । शत अष्टोत्तरी, छं० सं० 20, प्रथम पंक्ति । (ब) स्वर्ग मृत्यु पाताल में श्री जिनबिम्ब अनूप ॥ तिहं प्रीत वंदत भविक नित भाव सहित शिवस्वरूप || शत अष्टोत्तरी, छं0 सं0 19, अन्तिम दो पंक्तियां । 9. ' इति गुरु शिष्य चतुर्दशी, सुनहु सबै मन लाय । कहै दास भगवंत को, समता के घर आय। ' गुरु शिष्य चतुर्दशी, छं0 सं0 14 पंक्ति 5 व 6. 10. डॉ0 नेमिचंद शास्त्री, ज्योतिषाचार्य, आगरा में निर्मित जैन वाड्.मय, गुरु गोपालदास वरैया स्मृति ग्रंथ, पृ0 सं0 553 से उद्धृत . 11. 'तहां (आगरा) बसहिं जिनधर्मी लोक । पुण्यवंत बहुगुण के थोक || बुद्धिवंत शुभ चर्चा करे । अखय भंडार धर्म को भरे ।। " ब्रह्मविलास, ग्रंथकर्ता परिचय, छं0 सं0 2. तथा 7. 'नगर आगरो अग्र है, जैनी जन का बास । तिहं थानक रचना करी, भैया स्वमति प्रकास ।। ' उपादान निमित्त संवाद, छं0 सं0 46. तथा 44 " 'नगर आगरे जैन बसै। गुण मणि रिद्ध वृद्धि कर लसै । तिहं थानक मन ब्रह्म प्रकाश । रचना कही भगौतीदास ।। ' मनवत्तीसी, छं0 सं0 34. 12. भैया भगवती दास, स्वप्न बत्तीसी, छं0 सं0 34. Jain Education International (15) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002541
Book TitleBhaiya Bhagavatidas aur Unka Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Jain
PublisherAkhil Bharatiya Sahitya Kala Manch
Publication Year2006
Total Pages252
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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