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संदर्भ एवं टिप्पणियाँ
1. जंबूद्वीप सु भारतवर्ष। तामें आर्य क्षेत्र उत्कर्ष।।
तहां उग्रसेन पुर थान । नगर आगरा नाम प्रधान। ___x xxxx नृपति तहां राजै औरंग। जाकी आज्ञा बहै अभंग।। xxxxx तहां जाति उत्तम बहु बसै। तामें ओसवाल पनि लसै।। तिनके गोत बहुत विस्तार। नाम कहत नहीं आवै पार।। सबतें छोटो गोत प्रसिद्ध। नाम कटारिया रिद्धि समृद्ध।। xxxxx दशरथसाहु पुण्य के धनी। तिनके रिद्धि वृद्धि अति घनी।। तिनके पुत्र लालजी भये। धर्मवंत गुणधर निर्मये।। तिनके पुत्र भगवतीदास। जिन यह कीन्हों ब्रह्म विलास।। xxx xx संवत सत्रह पंचपचास। ऋतु वसंत वैशाख सुमास।। शुक्ल पक्ष तृतीया रविवार। संध चतुर्विध को जयकार।। xxxxx भैया नाम भगवतीदास। प्रगट होतु तसु ब्रह्म विलास।।
भैया भगवती दास, ब्रह्मविलास, ग्रंथकर्ता परिचय, पृ0 सं0 305 2. "रूपचन्द पंडित प्रथम, दुतिय चतुर्भुज दास।
तृतिय भगौतीदास नर, कौरपाल गुनधाम॥ धर्मदास ये पंच जन, मिलि बैठे इक ठौर। परमारथ चरचा करें, इनके कथा न और।।"
कवि बनारसीदास, नाटक समयसार, प्रशस्ति, पद्य 26, 27 3. डॉ0 प्रेम सागर जैन, हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि, पृ0 सं0
268, 269. 4. " 'मानसिंह' महिमा निज प्रगटै, बहर न भव में आऊँ।"
परमार्थ पद पंक्ति, आठवें पद की अन्तिम पंक्ति इसमें मानसिंह को संकेतित करके नीचे पाद-टिप्पणी में लिखा गया है
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