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14. योगीन्दु, परमात्म प्रकाश, ब्रह्मदेव की टीका सहित, 1, 25 Y) सं32 15. भैया भगवतीदास, फुटकर कविता, छं0 सं0 16 16. भैया भगवतीदास, परमार्थ पद पंक्ति, छं0 सं0 3 17. भैया भगवतीदास, जिनपूजाष्टक, छं0 सं0 5 18. 'प्रभु, हौं सब पतितन कौ टीकौ।
- सूरदास, सूर-विनय-पत्रिका, पद सं0 187 19. भैया भगवतीदास, सुपंथ कपंथ पचीसिका, छं0 सं0 3 20. भैया भगवतीदास, दृष्टान्त पचीसी, छं0 सं0 20 21. भैया भगवतीदास, फुटकर विषय, छं सं0 29
'हरि मोर पीव मैं राम की बहुरिया, राम मोर बड़ों मैं तन की लहुरिया।'
- प्रस्तुतकर्ता डॉ० शुकदेव सिंह, कबीर बीजक, शब्द सं0 78 23. 'अंखड़ियाँ झाई पड़ी पंथ निहारि निहार।
जीभड़ियाँ छाला पड्या राम पुकारि पुकार।।'
- कबीरदास, कबीर ग्रंथवाली, विरह कौ अंग, साखी सं0 22 24. भैया भगवतीदास, शत अष्टोत्तरी, छं0 सं0 26
वही, छंद सं0 27 __ वही, छं0 सं0 10 27. भैया भगवतीदास, परमार्थपद पंक्ति, छं0 सं0 14
भैया भगवतीदास, शत अष्टोत्तरी, छं0 सं0 28 वही, छं0 सं0 81
डॉ0 प्रेम सागर जैन, जैन शोध और समीक्षा, पृ0 सं0 170 31. विद्यावाचस्पति पं0 रामदहिन मिश्र, काव्य-दर्पण, पृ0 सं0 210 32. भैया भगवतीदास, शतअष्टोत्तरी, छं0 सं0 106 33. भैया भगवतीदास, आश्चर्य चतुर्दशी, छं0 सं0 14 34. भैया भगवतीदास, शतअष्टोत्तरी, छ0 सं0 90
वही, छ सं0 74 36. भैया भगवतीदास, मिथ्यात्वविध्वंसन चतुर्दशी, छं0 सं08
भैया भगवतीदास, सुपंथ कुपंथ पचीसिका, छं0 सं0 19 38. भैया भगवतीदास, आश्चर्य चतुर्दशी, छ0 सं0 2
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