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________________ अंतर्दर्शन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने हिन्दी साहित्य के इतिहास में जैन, नाथ-पंथ तथा सिद्धों के साहित्य को 'साम्प्रदायिक शिक्षा मात्र' तक मानकर उसे 'शुद्ध साहित्य' के अन्तर्गत स्थान नहीं दिया था। इस मान्यता की पृष्ठभूमि में आचार्य शुक्ल जी का अपना विशुद्धतावादी दृष्टिकोण ही प्रमुख है पर इसमें भी संदेह नहीं है कि उनके जीवन-काल में उक्त साहित्य के ऐसे अनेकानेक ग्रंथ प्रकाश में नहीं आ पाए थे, जिनमें सिद्धांत निरूपण के साथ-साथ साहित्य की कोमल भावना प्रवाहित थी। अतः आचार्य शुक्ल जी को अपनी स्थापनाओं पर पुनर्विचार का अवसर नहीं मिला। - डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल, महापंडित राहुल सांकृत्यायन तथा डॉ. रामकुमार वर्मा प्रभृति विद्वानों के सत्प्रयासों से संत-साहित्य के साथ-साथ जैन, नाथ-पंथ तथा सिद्धों का साहित्य भी विशाल परिमाण में प्रकाश में आया। इसके आधार पर आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपने शोध-ग्रंथ 'हिन्दी साहित्य का आदिकाल' में जोरदार शब्दों में इसकी महत्ता को स्वीकारते हुए लिखा "केवल नैतिक और धार्मिक तथा आध्यात्मिक उपदेशों को देखकर यदि हम ग्रंथों को साहित्य-सीमा से बाहर निकालने लगेंगे तो हमें आदि-काव्य से भी हाथ धोना पड़ेगा, कबीर की रचनाओं को भी नमस्कार कर देना पड़ेगा और जायसी को भी दूर से दंडवत् करके विदा कर देना होगा।" आगे चलकर सिद्ध-साहित्य, नाथ-पंथ तथा जैन-साहित्य पर अनेक विद्वानों ने अपना ध्यान केन्द्रित किया। भारत में ब्राहमण तथा श्रमण संस्कृति की धाराएँ समानान्तर रूप में प्रवाहित रही हैं। जैन धर्म भी भारतीय संस्कृति का अविच्छिन्न अंग रहा है। अतः संत-साहित्य के क्षेत्र में जैन साहित्यकारों का योगदान भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। डॉ. प्रेमसागर जैन ने हिन्दी जैन भक्ति काव्य का आरम्भ सं० 1405 वि० से माना है। उन्होंने प्रारम्भिक जैन कवियों के पक्ष में राजशेखर सूरि (1405 वि०), सधारू (1411 वि०) विनयप्रभ उपाध्याय (1412 वि०) आदि का उल्लेख किया है। अपने शोध-प्रबंध 'जैन भक्ति काव्य और कवि' में उन्होंने जैन संत कवियों (vi) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002541
Book TitleBhaiya Bhagavatidas aur Unka Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Jain
PublisherAkhil Bharatiya Sahitya Kala Manch
Publication Year2006
Total Pages252
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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