SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारतीय परम्परा में ध्यान [१६] के द्वारा चित्त के वशीभूत हो जाने पर जैसे एक ज्योति में दूसरी ज्योति मिल जाती है उसी प्रकार साधक अपने को सर्वात्मा में और सर्वात्मा में खुद को देखता है । जो योगी ध्यान योग के द्वारा अपने चित्त को एकाग्र कर लेता है उसके चित्त का द्रव्य, ज्ञान और कर्म सम्बन्धी भ्रम जल्दी ही निवृत्त हो जाता है।+ योग के आठ अड्.ग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि हैं । पातञ्जल सूत्रों में तो यम तथा नियम केवल पाँच प्रकार के बतलाये गये हैं परन्तु भागवतपुराण में यम व नियम-के बारह भेद माने गये है। शिवपुराण में व्याख्या इस प्रकार की गई है-'ध्यै चिन्तायाम्' यह धातु माना गया है। इसी धातु से ल्युट् प्रत्यय करने पर ध्यान की सिद्धि होती है, अत: विक्षेप रहित चित्त से जो शिव का बारम्बार चिन्तन किया जाता है, उसी का नाम ध्यान है । ध्येय में स्थित हुए चित्त की जो ध्येयाकार वृत्ति का प्रवाह रूप से बने रहना 'ध्यान' कहलाता है । यहाँ ध्यान के दो प्रायोजन बतलाये गये हैं-१- मोक्ष २- अणिमादि सिद्धियों की उपलब्धि । शिवपुराण में ध्यान के दो भेदों का उल्लेख किया गया है-१- सविषय ध्यान तथा निविषय ध्यान । साकार स्वरूप का अबलम्बन करने वाला सविषय ध्यान एवं निराकार स्वरूप का बोध निविषय ध्यान माना गया है। इन सविषय एवं निर्विषय ध्यान को ही क्रमशः सबीज और निर्बीज कहा गया हो।A ध्यान के अभ्यास से ज्ञान की प्राप्ति तो होती ही है साथ ही जैसे-प्रज्वलित + ध्यानेत्थं सुतीव्रण युञ्जतो योगिनो मनः । संयास्यत्याशु निर्वाणं द्रव्यज्ञानक्रियानमः ॥ (भागवत्पुराण ...११/१४/४६) र अहिंसा सत्यमस्तेयमसंगो ह्रीरसंचयः । आस्तिक्यं ब्रह्मचर्य च मौनं स्थैर्य क्षमाऽभयम् ॥ श्रीमद् भागवत पुराण ११-१६-३३) - शौच जपस्तपो होमः श्रद्धाऽऽतिथ्यं मदचनम्। तीर्थाटनं परार्थेहा तुष्टिराचार्य सेवनम् ॥ (वही ११/१६/३४) A शिवपुराण-कल्याण अंक, वर्ष ३६, अंक १, पृ०५५८
SR No.002540
Book TitleJain Parampara me Dhyana ka Swaroop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSima Rani Sharma
PublisherPiyush Bharati Bijnaur
Publication Year1992
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy