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________________ ध्यान का लक्ष्य - लब्धियाँ एवम् मोक्ष (२३२) विद्यानुशासन में ४८, मंत्रराजरहस्य + में ५०, प्रवचनहारोंद्धार एवं विशेषावश्यकभाष्य में २८ २८ लब्धियों का उल्लेख मिलता है लेकिन इन लब्धियों के वर्गीकरण में भिन्नता पायी जाती है । ... योगशास्त्र एवं ज्ञानार्णव X में लब्धियों का वर्णन चमत्कारिक शक्तियों के रूप में हुआ है । लब्धियों के प्रकार इस प्रकार से हैं : १- आमर्षो षधि-लब्धि : - ( आमोसहि) - जिस प्रकार से अमृत के स्नान करने से रोग नष्ट हो जाते हैं, उसी प्रकार से लब्धि के प्रभाव से साधक के शरीर के स्पर्श मात्र से रोगी स्वस्थ हो जाता है । यह योग विशेष से होने वाली दिव्य शक्ति है । २- विप्रोषधि-लब्धि : - (विप्पोसहि ) - इस लब्धि के प्रभाव से योगी के मल मूत्र भी औषधि का काम करते हैं । + श्रमण, वर्ष १६६५, अंक १-२, पृ० ७३ प्रवचनसारोद्धार २७०, १४६२-१५०८ आमोस हि विप्पोस हि खेलोस हि चेव । सव्वोसहि सभिन्ने ओहि रिउ विउलयइ लद्धी । चारण आसीविस केवलियगणहारिणो य पुव्वधरा । अरहन्त चक्वट्टी बलदेवा वासुदेवाय । खीरमहुसप्पि असव, कोट्टय बुद्धि पयाणुसारी य । तह बीयबुद्धि तेग आहारग सीयलेसा य ।। वे उव्वदेहलवी अक्खीण महाणसी पुलाया य । परिणाम तववसेण एमाई हुति लद्धीओ ॥ ( विशेषावश्यक भाष्य, १५०६-१५०६ ) योगशास्त्र, प्रकाश ५-६ X ज्ञानार्णव, प्रकरण २६ ....
SR No.002540
Book TitleJain Parampara me Dhyana ka Swaroop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSima Rani Sharma
PublisherPiyush Bharati Bijnaur
Publication Year1992
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size10 MB
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