SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४) जैन परम्परा में ध्यान का स्वरूप : एक समीक्षात्मक अध्ययन से उल्लेख किया गया है । बौद्ध परम्परा में यह बात बहुत प्रसिद्ध है कि भगवान बुद्ध बुद्धत्व प्राप्त होने से पहले छह वर्षों तक ध्यानसाधना में लीन रहे। जैन धर्म भी निवत्ति प्रधान कहा जाता है । जैन धर्म के मौलिक ग्रन्थ आगम कहलाते हैं। जैनागमों में योग के अर्थ में अधिकतर ध्यान शब्द प्रयुक्त हुआ है। ध्यान के लक्षण, भेद, प्रभेद, आलम्बन आदि का विस्तृत वर्णन अनेक जैनागमों में मिलता है।+ नियुक्ति में भी आगम में कहे गये ध्यान का स्पष्ट रूप से वर्णन मिलता है । उमास्वाति कृत तत्वार्थ सूत्र में भी ध्यान का विस्तृत वर्णन किया गया है।== ध्यान शतक में भी आगमोक्त बात का स्पष्टीकरण है क्योंकि इसके काल तक आगमों में कही गयी शैली ही प्रधान रही थी, पर इस शैली को श्री हरिभद्र सूरि ने योगबिन्दु, योगदृष्टि समुच्चय, योगविशिका, योगशतक और षोडशक ग्रन्थों को लिखकर बदल दिया ओर एक नये युग को जन्म दिया। हेमचन्द्र सूरि ने ने अपने योगशास्त्र में आसन तथा प्राणायाम एवं ध्यान से सम्बन्ध रखने वाली अनेक बातों का विस्तृत रूप से वर्णन किया है। आचार्य शुभचन्द्र जी ने ज्ञानार्णव में पदस्थ, पिण्डस्थ, रूपस्थ एवं रूपातीत ध्यान का विस्तृत वर्णन किया है, यह ग्रन्य अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। उपाध्याय श्री यशोविजय कृत अध्यात्मसार, अध्यात्मोपनिषद् तथा टीका सहित बत्तीस बत्तीसीवाँ योग एवं ध्यान से सम्बन्धित विषयों पर लिखी गई है। __ इस प्रकार हम देखते हैं कि तप की प्रधानता के समय एवं समाधि तप के अड्.ग समझे जाते थे लेकिन बाद में योग का महत्व व्यापक होने पर वे योग के अड्.ग बने । अर्थात जिन्होंने + (क) स्थानाड्ग, अध्याय ४, उद्देश १ (ख) समवायांग स. ४ (ग) भगवती शतक-२५ उद्देश ७ (घ) उत्तराध्ययन ३०/३५ TRA आवश्यक नियुक्ति कायोत्सर्ग अध्ययन, गाथा १४६२-१४८६ = तत्वार्थं सत्र. ९/२७ से आगे तक ।
SR No.002540
Book TitleJain Parampara me Dhyana ka Swaroop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSima Rani Sharma
PublisherPiyush Bharati Bijnaur
Publication Year1992
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy