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पंचम परिच्छेद
रौद्र ध्यान रौद्र ध्यान का लक्षण___'प्राणिनां रोदनाद् रुद्रः, तत्र भवं रोद्रम्' अर्थात् क्रूर, कठोर एवं हिंसक व्यक्ति को रुद्र कहा जाता है और उस प्राणी अर्थात् उस रुद्र प्राणी के द्वारा जो कार्य किया जाता हैं उसके भाव को रोद्र कहते हैं ।... इन अतिशय कर गावनाओं तथा प्रवृत्तियों से संलिष्ट ध्यान रौद्र ध्यान है । - जो पुरुष प्राणियों को रुलाता है, वह रुद्र व क्रूर कहलाता है और उस पुरुष के द्वारा जो ध्यान किया जाता है वह रौद्र ध्यान कहलाता है। यह ध्यान भी अशुभ अथवा अप्रशस्त ध्यान है। इसमें जीव स्वभाववश सभी प्रकार के पापों को करने में लगा रहता है व हिंसा आदि पाप कार्य करके गर्वपूर्वक डींगे ... रुद्रःक्रूराशय: प्राणी प्रणीतस्तत्त्वदर्शिभिः।
रुद्रस्य कर्मभावो वा रौमित्यभिधीयते ॥ (ज्ञानार्णव २६/२] ४ (क) रुद्रः क राशय: कर्म तत्र भवं वा रौद्रम् । (सर्वार्थसिद्धि
/२८/४४५/१०) (ख) राजवातिक ९/२८/२/६२७/२८ (ग) भावपाहुड़ टीका ७८/२०२६/१७ * (क) प्राणिनां रोदनाद् रुद्रः क्रूरः सत्त्वेषु निघृणः ।
पुसांस्तत्र भक्रौद्रं विद्धि ध्यानं चतुर्विधम् ।। (महापुराण २१/४२ ख) तेणिकमोससंरक्खणेसु तह चेव छविहारंभे । रुद्घ कसायसहितं झाणं भणियं समासेण ।। (भगवती आरा
धना, मूल, १७०३/१५२८) (ग] मूलाचार ३६६