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________________ भगवान के सम्मुख स्तुति करते समय उन्होंने स्वयं ने इसका उपयोग किया है । तत्पश्चात् कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी द्वारा रचित "अयोग-व्यवच्छेदिका" एवं “अन्ययोगव्य वच्छेदिका' नामक दो स्तुतियाँ दी गई हैं। श्री सिद्धसेन दिवाकर सूरि द्वारा रचित गम्भीर एवं गहन स्तुतियों के अनुकरण स्वरूप होने पर भी इन दोनों स्तुतियों को परमोपकारी आचार्य भगवान ने अपनी प्रतिभा से अत्यन्त सरल एवं समझ में प्राने योग्य स्पष्ट भाषा में रची हैं । सम्यक्त्व की परम विद्धि एवं शासन के प्रति दृढ़ अनुराग उत्पन्न करने के लिये ये दोनों स्तुतियां अत्यन्त लाभदायक हैं, ये अत्यन्त प्रबल मिथ्यात्व के विष को उतारने में समर्थ हैं तथा कलिकाल के मोहांधकार में ज्योति भरने के लिये रत्न की दो लघु दीवलियों का कार्य करती हैं । तत्पश्चात् कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी के उपदेश से प्रतिबोधित एवं श्री अरिहंत भगवान के शासन के परम भक्त महाराजाधिराज श्री कुमारपाल भूपाल द्वारा रचित श्री जिनेश्वर भगवान की हृदयद्रावक स्तुति दी गई है । यह स्तुति प्रत्येक भाव क व्यक्ति को श्री जिनेश्वर देव के साथ तन्मय करके भक्ति रस में सराबोर करने वाली है। इस स्तुति के 33 पद्य हैं। इसके द्वारा परमात्मा की स्तवना करने वाले भव्यात्मा को अाज भी रोमांच होने लगता है। वह संसार का भान भूल कर श्री जिनेश्वर भगवान के साथ एकात्मता अनुभव करता प्रतीत होता है । इस स्तुति को इस कलियुग में मुक्ति-दूती का उपनाम दिया जाये तो वह सर्वथा सार्थक होगा। तत्पश्चात् न्यायाचार्य, न्याय-विशारद, महोपाध्याय श्री यशोविजय जी द्वारा रचित 'परमज्योति” तथा “परमात्म पंचविंशतिका'' नामक दो स्तुतियां दी गई हैं । परमात्म-स्वरूप का प्रतिपादन करने वाले समस्त ग्रंथों का संक्षिप्त सार इन दो स्तुतियों में समाविष्ट है-ऐसा कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । ये दो स्तुतियाँ पाठकों में अपूर्व तत्त्वज्ञान की ज्योति जगमगाने के साथ श्री वीतराग परमात्मा के अदभुत गुणों का परिचय कराती हैं। जिन भक्ति । į vii Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002534
Book TitleJina Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarvijay
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size5 MB
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