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व्यवहार भाष्य
४६८४-८८
तीर्थंकर के वैयावृत्त्य का कथन क्यों नहीं? शिष्य का प्रश्न और आचार्य का उत्तर। दस प्रकार के वैयावृत्त्य से एकान्त निर्जरा।। ज्ञाननय और चरणनय का कथन।
४६६१. ४६६२. ४६६३.
४६८६.
नय की परिभाषा। ज्ञाननंय और क्रियानय में शुद्धनय कौन? कल्प और व्यवहार के मूल भाष्य के अतिरिक्त सारा विस्तार पूर्वाचार्य कृत। भाष्य के अध्ययन की निष्पत्ति।
४६६४.
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