SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क० ६,४-९,७,१-९;८, १-३] । दारुणु रण-कडित्तु मण्डेवउ चाउरङ्गु बलुचउ-धुर देवी पडिकत्तउ रहवर ताडेवा खग्ग-लट्ठि करें कैत्ति करेवी सुहड-कवन्धु लेक्खु पिण्डेवउ दण्डासहिड कियन्तुं पर-वलु जिणेवि" असेसु तं णिसुणेवि रावणु तुट्ठ-मणु पच्छण्णु परिदिउ पवर-भुउ 'कल्लएँ सोणिय-सम्मजणऍ रह-गय-वड्डिय-गन्धामलऍ णरवर-विहुरङ्ग-भङ्ग-करणे जयलच्छि-हरिद्द-विहूसियएँ परवल-जलोहे मेलावियएँ भूगोयरं-रुहिर-तोअ-भरिएँ जुज्झकण्डं-बासटिमो संधि [ ३७ जीविउ 'विसरिK ठेउँलु ठवेवउ ॥४. जाणइ खडिया-जुत्ति लएवी ॥५ हय-गय-जोह-छोह पाडेवा ॥६ 'जयसिरि-लीह दी, कड्डेवी ॥ ७ जीवगाहि रिउ-गहणु लएवउ ॥ ८ । ॥ घत्ता ॥ लुहउ लीह पिसुण-यणहाँ । अप्पेवउ दहवयणहों' ॥९ [७] सञ्चल्लिउ मारिच्चहाँ भवणु ॥ १ ॥ सहुँ कन्तऍ सो वि चवन्तु सुउ ॥२ पइसेवउ मइँ रण-मज्जणऍ ॥३ वर-असिवर-कङ्का-थामलऍ ॥ ४ जस-उव्वट्टणे वहु-मल-हरणे ॥ ५ समरङ्गणे कुण्ड-पदीसियऍ॥ ६ 18 पहरण-दवग्गि-सन्तावियएँ ॥७ असिधारा-णियरें पवित्थरिऍ॥८ ॥ घत्ता ॥ पहामि परऍ णीसङ्काउ । जम्मै वि अयस-कलङ्कउ' ॥९ [८] सुअ-सारणहँ घरइँ गउ रावणु ॥१ 'कल्लऍ चडमि कन्ते रण-सेजहें ॥२ चाउरङ्ग-साहण-चउपायहें ॥३ वइसेंवि करि-सिर-वी जेण ण ढुक्कइ कन्ते 'तं णिसुणेवि वयणु अदयावणु एके वुत्तु पुरउ णिय-भजहें भुअण-त्तयों मझें विक्खायहें 5A विसरिस. 6 A ठवलु. 7 P करेवउ, S करेन्वउ, A ठवेउ. 8 A एवी. 9 A खंडिया'. 10 P "दुत्ति. 11 P करेवी, S करेव्वी. 12 s करि, A कर कत्त. 13 PS पुणु वि. 14 A कयतुः 15 P लइउ, S लयउ, A जिणिवि. '7. 1 P S थावलए, A कंकच्छामलए. 2 P S °चिहुरंग?. 3 A मेल्ला. 4 PS भूगोयरे. 5 sणिवहे. 6P S पहावि. 8.1 तं णिसुणेपिणु देसाणणु. 2 पासहे. .[६]१ अद्वितीयम्. २ दायम्. ३ एकत्रकरणम्. [७] १ कंकया (१) स्थाने, २ प्रभाते. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy