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क० २,३-९,३, १-९;४, १-३] । जुज्झकण्डं-घास हिमो संधि [ ३५ कत्थ वि सिव सुहडहों डीण सिरे विवरोक्खऍ अणुएँ भुत्ति करें ॥३ कत्थ वि सिव चुम्बइ मुह-कमलु णं पोढ-विलासिणि अहर-दलु ॥ ४ कत्थ वि सिव भडहों लेइ हियउ पुणु मेल्लइ 'मैरु अण्णहें हियउ' ॥५ कत्थ "वि रणें भूअहुँ कलहणउ 'सिरु तुज्झु कवन्धु महु त्तणउ' ॥६ अभिडइ अण्णु अण्णेण सहुँ 'ऍउ भडु आवग्गउ देहि महु' ॥७ अण्णे वुच्चइ 'खण्डु वि ण त छुडु एक्कु गासु महु होउ गई ॥८
॥ घत्ता ॥ भूअहुँ भोअण-लील रामहों वयणु समुजलु । सीयहें मणे परिओसु णिसियर-वलहों अमङ्गलु ॥ ९
[३] जं णिसुणिउ हत्थु पहत्थु हेउ णल-णील-सरेंहिँ तम्वारु गउ ॥ १ तं पलय-काल ओर्वत्थियउ पुरे हाहाकारु समुत्थियउ॥२ णं पक्खिंउलेण विमुक्क रडिणं णिवडिय महिहर-सिहर तडि ॥३ तं णउ घरु जेत्थु ण रुवइ धण उभिय-कर धाहाविय-वयण ॥ ४ सो उ भडु जासु ण अङ्गे वणु सो णउ पहु जो उ विमण-मणु ॥ ५ ॥ सो णउ रहु जो ण कि कप्पियउ सो णउ हउ जो ण वि सर-भरिउ ॥६ सो ण वि गउ जासु ण असि-पहरु सो ण वि हरि जो अभग्ग-णहरु ॥७ जण एम कणत परिट्टियएँ दुक्खाउरें णिद्दा-वसिकियएँ॥८
॥ धत्ता ॥ अद्धरत्ते पडिवणें विजाहर-परमेसरु। पुरै पच्छण्ण-सरीरु भमइ णाइँ जोगेसरु ॥९
[४] पप्फुल्लिय-कुवलय-दल-णयणु करवाल-भयङ्करु दहवयणु ॥१
आहिण्डइ रयणिहिँ घरेण घरु पेक्खहुँ को केहउ चवइ णरु ॥२ पइसइ अच्चन्त-मणोहर पवरइँ वर-कामिणि-रइहरई ॥ ३ ॥ 3 This line is not found in A, 4 P S 'कए. 5s अण्णुइ. 6P किरे. 7 This pāda is not found in A except the last two letters. 8 P S मेल्लए. 9 P भण्णए, अण्णइ. 10 P A इं, S इ. 11 A कलहणउं. 12 P तणउं, A त्तणउं.
3. 1 A मुउ. 2 PS णं उठ्ठियउ. 3 पुणु. 4 PS समुच्छलिउ. 5 PS संखउलेहिं (हि). 6 PS °यंत.7A ण वि. 8 A ण सरहं. 9A यई. 10s कियइ, A कियइं. 11 PS पडिवपणए. 12 A पुणु.
4. 1 PS °दलकोमल'. 2 P6 पेक्खहु, A पेक्खहं. [२] १ फिट्ट.
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