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३४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० १४, ६-९, १, १-९,२,१-२ एत्तहें स-पडह णीसह सङ्ख एत्तहें अप्फालिय तूर-लक्ख ॥६ एत्तहें वेलें हाहाकारु सुटु एत्तहें पुणु जयजय-सद्दु घुट्ट ॥७ एत्तहे वि गयणे अथमिउ मित्तु णं हत्थ-पहत्थहँ तर्णउ मित्तु ॥८
॥घत्तॉ॥
. जुज्झन्त वेण्णि वि सेण्णइँ रयणिऍ णाई णिवारियई। भूऍहिँ स ई भू अ-सहासइँ रण भोयणे हकारियई ।। ९
[६२. बासट्ठिमो संधि] पाडिरे हत्थें पहत्थें वलइँ वे वि परियत्तई। णाइँ समत्तऍ कजें मिहुण. 'णिसुढिय-गत्तइँ ॥
[१]. गएँ रावणे णिय-मन्दिरें पइटें हरि-हलहरें रण-वाहिर णिविढें ॥१ तहिँ अवसर जर्ग-वित्थिण्ण-णामु जोक्कारिउ णल-णीलेहिँ रामु ॥२ तेण वि वहु-रयण-समुज्जलाइँ दिण्णइँ णीलहों मणि-कुण्डलाइँ॥३
इयरहों वि मउडु मणि-तेय-भिण्णु जो रामउरिहिँ जंकृखेण दिण्णु ॥ ४ 15 जं वे वि पपुन्जिय राहवेण पञ्चड वूहु किउ जम्बवेण ॥५
णर दाहिणेण हय उत्तरेण गय पुवें रह 'अवरतणेण ॥६ विरइयइँ विमाणइँ गयण-मगगें थिय हरि-हलहर सीहासणग्गें ॥७ 'देवहु मि अच्छेउ अभेउ वूहु "णं थिउ मिलेवि पञ्चमुहु जूहु ॥८
। घत्ता॥ 20 ताव रणङ्गण-मझें पुण पुणु सिव फेक्कारइ। 'रामण दुजउ राम'. णाइँ समांसऍ वारइ॥९
[२] कत्थ वि सिव का वि कलुणु लवइ 'रणु थोवउ जइ अण्णु वि हवई' ।।१ कत्थ वि सिव का वि समल्लियइ णं जोअइ 'को मुउ को जियई' ॥२ 6 A अस्थमिउं. 7 A तगउं.
1. 1 P णि सुट्टि, णिसुड्डिय', A सुढिय'. 2 A reads ध्रुवकं ॥ at the end. 3 PS बाहिरे सई(s°इ). 4 P S जगे. 5 S जक्खेहि. 6 P अवरत्तरेण, A °वरु उत्सरेण. 7 A transposes the padas in this line. 8 PS देवहु. 9 wanting in s. 10 A कियउ हयगयरहनरवरसमूहु. 11 A राउ. 12 PS समासइ, A समासई. .
2. 1A रवणु थोडउ. 25 जीयइ, wanting in A.. [१] १ शिथिलः. २ पश्चिमभागे..
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