________________
३२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
वेण्ण वि भिउडी - भङ्गर-वयणा वेणि वि पचण्ड - कोवण्ड-धरा वेण वि धणु-विण्णाणन्त-गया वेण वि समरङ्गण दुविसहा • वेण्णि वि थिय अहिणव रहवरे हि वेण वि णीसन्दण पुणु वि किया
www
10
एत्थन्तरें आयामिय- णलेण हय-तूर-पर-किय-कलयलेण हरिणिन्द - 'रुन्द - कडि - कडियलेण दिढ - कढण - वियड-वच्छत्थ लेण " छण-चन्द-रुन्द-मुह-मण्डलेण तोणीरहों रावण - किङ्करेण विउरुवण-सरु रणें दुण्णिवारु आमेलिजन्तु सहास - भेउ
20
ator विकरन्ति रणे णिक्कड पडिपहरें पहरें णिवडन्तऍ
जलें थलें पाया हङ्गणे रिउ-जलहरु सर-धाराहरु
तं हत्थों के वाण-जालु आयामेंवि णर्लेण दुर्दरिसणेण
28
धारा - तिमिरु व किरणायरेण दहिमुह-पुरें रिसि- कण्णोवसर्गे
[११] १ विस्तीर्णः.
[ क० १०, ३ - ९, ११, १–९; १२, १-४
वेणि वि गुञ्जाहल - सम-णयणा ॥ ३ वेणि वि अणबरय - विमुक्क-सरा ॥ ४ वेण्ण वि सयवारोच्छिण्ण-धया ॥ ५ वेण वि सयवार - हूय - विरहा ॥ ६ वेण्णि वि- पोमाइय सुरवरेहिं ॥ ७ वेण्णि वि विमाण वाहणेंहिँ थिया ॥ ८
॥ घन्ता ॥
पहु- सम्माण- दाण-रिणहाँ । वेण वि णाम लेन्ति जिणों ॥ ९ [११]
Jain Education International
पय-भारक्कन्त - रसायलेण ॥ १ ओर सिय-स- दडि - काहलें ॥ २ सुन्दर-रङ्खोलिर-मेहलेण ॥ ३ पारोह -सोह - सम-भुअवलेण ॥ ४ घोलन्त - कण्णमणिकुण्डलेण ॥ ५ ags भड भिडि भयङ्करेण ॥ ६ गुण- सन्धिय- मेत्तर सय-पयारु ॥ ७ थोवन्तरे णवर अलद्ध छेउ ॥ ८
॥ घत्ता ॥
वाण - णिवहु सन्दरिसियउ । ल - कुलपवऍ वैरिसियउ ॥ ९ [१२]
3 P णिक्खवउं, S णिक्खउ 4PS णाउ.
11. 1 A गुणसयमित्तउं गुणसयवयारु. 2PS आमि ( P° मे ) लिय जंतु. 3PS वरसियड
(P°3).
12. 1 PSA दुरि 2PSA सरिणा
पूरन्तु असेसु दियन्तरालु ॥ १ आरिसिङ सरेणाकरिसणेण ॥ २ मीत्यें जगु व सणिच्छरेण ॥ ३ हणुवेण व सायर - जलु ख-मगे ॥ ४
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org