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क०८,१-९,९,१-९,१०,..
जुज्झकण्डं-एक्कसटिमो संधि [ ३१
[८] जाम्व वोल्ल सुर-कामिणि-सन्थहाँ ताव वलेण समरे काकुत्थहों ॥२ भग्गु असेसु वि रावण-साहणु वियलिय-पहरणु गलिय-पसाहणु ॥२ विहुणियकर-मुहकायर-णरवरु वुण्ण-तुरङ्गमु मोडिय-रहवरु ॥३ चत्तछत्त-आमेल्लिय-धयवडु गरुय-घाय-कडुवावियं-गय-घडु॥४ . जं णासन्तु पदीसिउं पुर-वलु राहव-पक्खिएहिँ किउ कलयलु ॥ ५ . 'हले हले वारवार जं वण्णेहि जेण समाणु अण्णु णउ मण्णहि ॥ ६ तं वलु पेक्खु पेक्खु भजन्तउ _ उववणु दुवाएं छित्तउ ॥७ णं सज्जण-कुडुम्वु खल-सङ्गे गाइँ कुमुणिवर-चित्तु अणङ्गे ॥८
॥ घत्ता ॥ रिउ-हरिण-जूहु हिण्डन्तउ पुण्णहिँ कह व समावडिउ । णासेम्पिणु कहिँ जाएसइ · राहव-सीहहाँ कमें पडिउ' ॥९
[९] एस्थन्तरें वलें मम्भीस देवि वित्थक्को हत्थ-पहत्थ वे वि॥१ णं पंलएँ समुद्विय चन्द-सूर णं राहु-केउ अच्चन्त-कूर ॥२ णं पलय-हुआसण पवण-चण्ड णं मत्त महग्गय गिल्ल-गण्ड ॥३ णं सीह समुद्भूसिय-सरीर णं खय-जलणिहि गम्भीर धीर ॥४ दुवार-वइरि-सङ्घारणेहिँ उत्थरियाणेऍहिँ पहरणेहिँ ॥५ अग्गेऍहिँ वारुण-वायवेहिँ सिल-पाहण-पवय-पायवेहिँ ॥६ जहिँ जहिँ भिडन्ति तहिँ मणे विसण्णु साहारु ण वन्धइ राम-सेण्णु ॥७ विहडप्फडु णासइ पाण लेवि तहिँ अवसर थिय णल-पील वे वि ॥८
॥घत्ता ॥ णं पवर-गइन्दु गइन्दहों सीहहों सीहुं समावडिउ । णलु हत्थों णीलु पहत्थों सरहस-पहरणु अन्भिडिउ ॥९
[१०] णेल-हत्थ वे वि रणे ओवडिया वेण्णि वि गय-सन्दणेहिँ चडिया ॥१ वेण्णि वि अंभङ्ग-मायङ्ग-धया वेणि वि सुपसिद्ध लद्ध-विजया ॥२
8. 1 A वण्णहिं. 2 PA मण्णहिं. 3 PS कहि मि. 4 A णासेइ. 9. 1 B ते स्थक्का, 5 ते थक्का. 2 P S A पलय. 3 P S सरहसु, A सहरिस,
10. 1 s. reads all the end syllables of the pādas here as short; so also P. except in lines 4 to 6; A reads them long except in lines 1, 2, and 8. 2 PS अहंग.
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