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________________ ०३ -१४; ५१-९ ] दिसग्ग- भग्ग- सन्दणं भिडन्तं - वीर - णिब्भरं• विमुक्क- चक्क - सव्वलं अय- घाय-जज्जरं मुअन्त-हक्क-डर्कयं लुणन्त-अंड-हडुयं पडन्त जोह - विम्भलं गलन्त-लोहिओहयं कहिं चि" आहया हया कहिं जि भासुरा सुरा कहिं चि" विद्धया धया तहिँ आहवें पढम-भिडन्तउ दिवें दिवें दुवियों माणण राहव वलु रावण-वलेण भग्गु कलि- परिणामें परम-धम्मु वियलिय -पहरणु णिय-मर्णे विसष्णु किड कलयलु कमल-दलक्खिएहिँ 'हेलें पेक्खु पेक्खु णासन्तु सिमिरु सु वि सीयालु महन्त - काउ सुट्ठ वि जोइङ्गणु तेयवन्तु सुविसुन्दर रासों कील सुवि भूगोयरु दुर्ज विवालाहि वड्डुउ सु 4 Ps वाहणं. 5s मुवंत 6 Ps 9 A °भेभलं. 10 A जि. 11 Ps रिणा. records 3 as a variant. [५] १ सरोवर झीलरा (?) जुज्झकण्ड - एक्सट्टिमो संधि [ २९ Jain Education International भमन्त-सुण्ण चरणं ॥ ३ चवन्त-गिट्ठरं खरं ॥ ४ तिसूल -सत्ति-सङ्कलं ॥ ५ पडन्त - वाहु-पञ्जरं ॥ ६ हन्त - एकमेक्कयं ॥ ॐ कुणन्त-खण्डखण्डयं ॥ ८ ललन्त-अन्त-चुम्भलं ॥ ९ मिलन्त - पक्खि - जूहयं ॥ १० महीयलं गया गया ॥ ११ पहार-दारुणारुणा ॥ १२ जसोह - भूरिणा धयी ॥ १३ ॥ घत्ता ॥ राह - साह भग्गु हि । पोढ - विलासिणि सुरंउ जिह ॥ १४ ॥ घत्ता ॥ किं पुज्जइ विज्जाहर हो । किं सरिस रयणाय रहो' ॥ ९ 5. 1 This pāda is not found in A. 2 P $ तिमिर (P रि ) णिखरु. 3PS पर A र. 4 A दुज्जड्. [4] णं दुग्ग-गम सुगइ-मग्गु ॥ १ णं घोराचरणें मणुअ- जम्मु ॥ २ भज्जन्तर पेक्खवि राम- सेण्णु ॥ ३ सुर-बहुअहिं रावण-पक्खिएहिं ॥ ४ णं रवि-यर- णियर हों रंयणि- तिमिरु ॥ ५. २० किं विसes के सरि-हर- घाउ ॥ ६ किं तेण तवणु जिज्जइ तवन्तु ॥ ७ किं पावइ वँर - मायङ्ग-लील ॥ ८ www ढक्कयं. 7PS कर्णत 8Ps 'हअड्डुअड्ड्यं, 4 भट्ट 12Ps माणिणि 13 Ps हियउ, P marginally 3 For Private & Personal Use Only " td 25 www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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