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deऍ समरङ्गणे दारुणें को वि वीरु णासङ्कइ पाणहुँ को वि वीरु पडिपहरइ पर-वलें • को वि वीरु असहन्तु रणङ्गर्णे को विवरि करें धरेंवि पकडइ को वि सराह पss विमाणहाँ को वि धरिज्जइ वाहिँ एन्तउ को विदन्ति-दन्तेंहिँ आलग्गइ
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२८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
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उ मा वि गुणवन्त
मुज्जल- दण्ड-वलग्गाइँ
15 ण समिच्छिउ जेण पियहॅ तणेउ मुहपतिं ण इच्छिय जेण घरें चिरु जेण ण इच्छिउ दप्पणउ मुद्दे पण्णइँ जेण ण लावियइँ चिरु जेण ण सुरउ समाणियउ णिय-णारि ण इच्छिय आसि जेंण जो हूँ ण देतं णिय - पियाऍ
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कुम्भु वियावि पाहुडुकन्त
कहिंचि' घोर भण्डणं रिन्द-विन्द-दारणं
सम्मा- दाण-रिण- भरियउ सो रणउहें सुहडु पच्चि
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कुङ्कुम-केसुअ-अरविन्दारुणं ॥ १ पुणु पुणु अङ्गु समोडइ वाणहुँ ।। २ पुर धाइ पर देइ ण पुच्छलें ॥ ३ झम्प देइ -पर-रवर-संन्दणें ॥ ४ पहरें पहरें परिओसु पर्वडइ ॥ ५ णावर विज्जु - पुख णिय-थाणहों ॥ ६ णं गुरूहिँ रु रऍ पॅडन्त ॥ ७ करणु देवि कवि उवरि वलग्गइ ॥ ८
॥ घत्ता ॥
[ ० २, १ - ९३, १९; ४, १–२
॥ घत्ता
जाइँ ताइँ कुन्दुज्जलइँ | को विलेइ भुताहल ॥ ९
[३]
केण वि तोडियइँ धयग्गाइँ ॥ १ तें हिरें लइउ पसाहणउ ॥ २ किय तेण सुहड जेंवि समरें ॥ ३ रहें तेण णिहालिउ अप्पणउ ॥ ४ तेंड-इँ च्चावियइँ ॥ ५
- सहुँ माणियै ॥ ६ आलिङ्गिय गय घड वहुय तेंण ॥ ७ सो फाडि समरङ्गण-तियाऍ ॥ ८
अच्छिउ जो झूरन्तु चिरु । सामिहें अग्गऍ देवि सिरु ॥ ९
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सिरोह - देह-खण्डणं ॥ १
तुरङ्ग-मग्ग- वारणं ॥ २
2. 1 Ps उ संकइ. 24° साहणे. 3s पयहइ 4s पवइ 5s देत हे.
3. 1 A तणउं. 2 A ते रुहिरे. 3 A पसाहणउं. 4 Ps मुहयंतिण इच्छिउ 5 PA अप्पण.
6 Ps. 7 P रणे चहुअउ s रणवहुअउ 8PS सइ. 9A माणियउं. 10 Ps देत, 4 12PS पणचि ( sय ) उ. 13 Ps विवि.
देत. 11 P झुरंत, 4 जूरंतु.
41. P. 2 PS दारुणं.
3PS मत्त.
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