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________________ २६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० १०,१-९,११,१-९ [१०] अण्णेकऍ दीहर-णयणियाएँ पभणिउ पप्फुल्लिय-वयणियाएँ ॥१ 'हले वेणि मि अतुल-महावलाई वेण्णि मि परिवड्डिय-कलयलाई ॥२ वेणि मि कुरुडाइँ स-मच्छराइँ वेण्णि मि दारुण-पहरण-कराई ॥३ 5 वेणि मि सवडम्मुह किय-गमा वेणि मि पक्खरिय-तुरङ्गमाइँ ॥४ वेणि मि गलगज्जिय-गयघडाइँ वेण्णि मि पवणुचुअ-धयवडाइँ ।। ५ वेणि मि सञ्जोत्तिय-सन्दणाइँ वेणि मि सुर-णयणाणन्दणाइँ ॥६ वेणि मि सारहि-दुद्दरिसणाइँ वेणि मि सेणांवइ-भीसणाइँ ॥७ वेण्णि मि छत्तोह-णिरन्तराई वेण्णि मि भड-भिउडि-भयङ्कराइँ ॥ ॥ घत्ता॥ विणि मि सेण्णइँ अणुसरिसाइँ महाहवें ।.. विजउ ण जाणहुँ किं रावणे किं राहवें ॥९ [११] तं वयणु सुर्णेवि वहु-मच्छराएँ अण्णाएँ णिब्भच्छिय अच्छराएँ॥१ 15 'जहिँ रण-धुर-धोरिउ कुम्भयण्णु सहुँ भीमें भीमणिणाउ अण्णु ॥२ जहिँ मउ मारीचि सुमालि मालि जहिँ तोयदवाहणु जम्वुमालि ॥ ३ जहिँ अक्ककित्ति महु मेहणाउ जहिँ मयरु महोयरु भीमकाउ ॥४ जहिं हत्थु पहत्थें महत्थु वीरु जहिँ घुग्घुरु घुग्घुद्धाम धीरु ॥५ जहिँ सम्भु सयम्भु णिसुम्भु सुम्भु जाहिँ सुन्दु णिसुन्दु णिकुम्भु कुम्भु ॥ ६ "जहिँ सीहणियम्वु पलम्ववाहु जहिँ डिण्डिमु डम्वरु नक्कगाहु ॥७ जहिँ जमु जमघण्टु जमक्खु सीहु जहिँ मल्लवन्तु जहिँ विज्जुजीहु ।। ८ ॥ घत्ता ॥ जहिं सुउ सारणु वजोअरु हालाहलु । तहिँ रावण-वले कवणु गहणु राहव-वलु' ॥९ 10. 1 P variously विनि वि, वेनि चि, s consistently विण्णि वि, A variously वेण्णि or विण्णि, मि or वि. 2 P S °वलइ वलाई (s वालाइ). 3 A 'रमाइं. 4 PS सेण्णइ भइभीसणाई (S°इ). 5 PS अणुसरियाई. 11. 1 PS णिभच्छिय अच्छर अच्छराए. 2 PS मारिचि. 3 PS महत्थु महव्य. 4 PSA घुघुरघुघु. 5 PS सुंडणिसुंड. 6 P जमहंसु. 7 PS A जमक्ख. [१०] १ क्रूरानि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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