SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क०८, १-९,९,१-९] जुज्झकण्डं-सट्ठिमो संधि [२५ [८] रहवर-गयवरेहिँ एकेकेहि • तिहिँ तुरऍहिँ पञ्चहिँ पाइक्केहि ॥१ वुच्चइ पत्ति सेण तिहिँ पत्तिहिँ सेणामुहु तिहिँ सेणुप्पत्तिहिँ ॥२ गुम्मु 'ति-सेणामुह-अहिणाणेहिँ वाहिणि तीहिँ गुम्म-परिमाणेहि ॥ ३ तिहिँ वाहिणिहिँ अण्ण तिहिँ पिथणेहिँ तं चमु णामु पगांसि णिउणेहिँ ॥४ । तिहिँ चमूहिँ पभणन्ति अणिक्किणि दसहिँ अंणिकिणीहिँ अक्खोहणि ॥ ५ एवंऽक्खोहणीहिँ.वि सहासइँ जाइँ भुवणे णिय-णाम-पगासइँ ॥६ चउ कोडीउ सत्ततीस लक्ख चालीस सहस रह गयहुँ सङ्ख ॥ ७ सत्तासी लक्ख स-मच्छराहुँ वलें एकवीस कोडिउ णराहुँ॥८ ॥ घत्ता ॥ तेरह कोडिउ वारह लक्ख अहङ्गहुँ। बीस सहासइँ । इउ परिमाणु तुरङ्गहुँ ॥ ९ [९] संचलें राहव-साहणेण रोमञ्चुच्छलिय-पसाहणेण ॥१ आलाव हूअ हरिसिय-मणहों गयणगणे सुर-कामिणि-जणहों ॥२ । एक्कएँ पवुत्तु 'वलु कबणु थिरु जं सामि-कजे ण गणेइ सिरु ॥३ कवणहिँ वलें पवर-विमाणाइँ कञ्चणगिरि-अणुहरमाणाइँ ॥४ कवणहिँ पक्खरिय तुरङ्ग थड कवणहिँ मुक्कङ्कुस हत्थि-हड ॥ ५ कवहिँ सर-धोरणि दुबिसह कवर्णहिँ महिहर-सङ्कास-रह ॥ ६ कवणेहिँ सारहि सन्दण-कुसल कवणहिँ सेणावइ अतुल-वल ॥ ७ कवर्णहिँ पहरणइँ भयङ्करइँ कवणहिँ चिन्धाइँ णिरन्तरइँ॥८ ॥ घत्ता ॥ कवणु रणङ्गणें वाणहुँ साइउ देसइ । रावण-रामहुँ जयसिरि कवणु लएसई॥९ ____8. 1 P s तिसेण्णु णामु अहिहाणेहिं (है). 2 Ps पियणहि अण्ण तिहि, A अण्णु तिहिं पित्रणेहि. 3A चउ. 4 Ps पगासिय. 5 Pअणिकिहि, अण्णिविहि.A अणिक्विहिं. 6P अणिक्विहिणीहिं (°हि). 7 PS एव अ. 9.1 P कवणए, s कवणइ. 2 PS कवणए. 3 PS कवणइ. 4 P S भयंकराई (°F). 5 P णिरंतराइ. [८] * १ हस्ती, १ रथ, ३ असवार, ५ पाइक-एका पत्तिः । ३ पत्ति-सेणा । ३ [सेणा]-सेणा. मुखु । ३ सेनामुखि एकु गुल्मु । ३ गुल्मि एका वाहिणी । ३ वाहिणी एक पृतना । ३ पृतना-१ चमू। . ३ चमू-१ अस्नीका । १० अनीका एक [क्षोहिणी । एकत्र राम-बले ४ कोडिउ ३७ लक्ष ४० सहस्र गजा रथाश्च । २१ कोडि ८७ लक्षः मनुष्याः । १३ कोडि १२ लक्ष २० सहस्र अश्वानि । सर्वसेना एतत् प्रमाणम् । अक्षोहणी-प्रमाणम्-२१८७० गजसंयुते, २१८७० रथसंयुते, ६५६१० अश्वसंयुते, १०९३५० पाइके २१८७०० । वडी दूजी [अ]क्षोहिणी-(The figures that follow are confused) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education internपउ०च०४
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy