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क० ४, १९९५, १-९]
एम भणेवि वीर- चूडामणि. तहिँ अवसरें सुग्गी विरुज्झइ सज्जियाइँ च हंस - विमाणइँ 'गयं -रयाइँ णं सिद्धहँ थाणहूँ मन्दर - सेल - सिहर-संच्छ्रायइँ अलि- मुहलिय-मुत्ताहल-दामइँ हरि-वलहद्द हुँ वे पट्टवियइँ जिणु जयकारेंवि चर्डिङ विहीसणु
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रउ परिट्ठिय णं धुर-धोरिय
जुज्झकण्डं-सट्टिमो संधि [२३
एए णरवइ समुह दसासह
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[ ४ ]
उमेरह विमाण थिउ पावणि ॥ ११ भामण्डलु सरोसु सण्णज्झइ ॥ २ 'जिणवर-भवणहाँ अणुहरमाणइँ ॥ ३ भङ्ग- जइँ णं कुसुमहीं वाणइँ ॥ ४ किङ्किणि घग्घर -घण्टा - णायइँ ॥ ५ विज्जु - मेह-रवि-ससिप-णामइँ ॥ ६ वे अपणों कारण ठवियइँ ॥ ७ जो भय-भीय जीव - मम्भीसणु ॥ ८ ( मत्तमायङ्गो णाम छन्दो )
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[५]
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के वि सण्णद्ध समरङ्गणे दुज्जया के वि भामण्डला इच्च - चन्द - द्वया ॥ के वि सिरि-स-आवेरिय- कलस-द्वया के वि कारण्ड - करहंस - कोश्च द्वया ॥ २ के वि अलियल - मायङ्ग-सीहद्धया के विखर-तुरय-विसमेस - महिस-द्वया ॥ ३ के विसस-सरह - सारङ्ग - रिञ्छ- द्वया के वि अहि-उल-मय- मोर-गरुडद्धया ॥ ४ के वि सिव-साण-गोमाउ-पैमयं द्धया के वि घण-विज्जु-तरु-कमल- कुलिसद्धया ॥ ५ के वि सुंसुअर - करि-मयर-मच्छ-द्वया के वि णकोहर-ग्गाह - कुम्म द्धया ॥ ६ णील-ल-हुस - ₹ इमन्द - हत्थुब्भवा जम्वु जम्बुक्क - अम्भोहि-जव - जम्ववा ॥ ७ पत्थपित्थ- पत्थार-दप्पुद्धरा पिहुल-पिहूकाय भूभङ्ग- उब्भङ्गुरा ॥ ८ ( मयणावयारो णाम छन्दो)
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॥ घत्ता ॥
सेण्णहों भय-परिहरणहो । वि' समास वायरणहाँ ॥ ९
॥ घत्ता ॥
गय-सन्दर्णेहिं परिडिय । उवसग्ग समुट्ठिय ॥ ९
4. 1 Ps पउमप्यहे. 2 This line is wanting in A 3s °जणइ. 4s अत्तणहो, A अत्ताणहों. 5 Ps °सीय° 6PS छग्विद्द.
5. 1 A ° आयरिय. 2 P पमह', sपमहय 3 Ps °रहुमंदहत्थु भया. 4 Ps जंवया. 5 P s पत्त°, A पच्छ॰. 6 Ps परिट्ठियां (s°इ ). 7 P परिट्टिभहं, 8 परिट्ठियह,
[४] १ पद्मप्रभविमाने. २ हनूवंतः ३ गतपापानि . ४ द्वौ विमानौ विभीषणेन रामलक्ष्मणयोः. प्रेषितः, ५ अव्ययी - द्वंद्व तत्पुरुष- बहुव्रीहि- कर्मधारय - अलुक् षट्प्रकार-समासाः.
[५] १ चित्रकः, व्याघ्रः २ शृगाल. ३ मर्कट. ४ हस्ती (?) - रथ (Tः).
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