SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०२,१-९,३, १-९ सो वजयण्ण-आणन्दयरु कल्लाणमाल-दसण-पसरु । वणमालालिङ्गिय-वच्छयलु अरिदमण-णराहिव-सत्ति-धरु चन्दणहि-तणय-सिर-णिद्दलणु खर-दूसण-तिसिर-सिरन्तयरु सो लक्खणु पुलय-विसट्ट-तणु पुणु रावण-वलु णिज्झाइयउ सीहोयर-माण-सरट्ट-हरु ॥ १ विञ्झाहिव-विक्कम-मलण-करु ॥२ जियपउम-णाम-पङ्कय-भसलु ॥ ३ कुलभूसण-मुणि-उवसग्ग-हरु ॥४ सूरन्तय-सूरहास-हरणु ॥ ५ कोडिसिला-कोडि-णिहट्ठ-उरु ॥ ६ सण्णज्झइ अमरिस-कुइय-मणु ॥ ७ __णं सयलु जे दिहिहें माइयउ॥८ (पद्धडिया णाम छन्दो) 10 ॥ घत्ता ॥ जासु किसोअरें जगु जि गिरोमंउ जेत्तिउं। तासु विसालहुँ णयणहुँ तं वलु केत्तिउँ ॥ ९ [३] Is तहिँ तेहएँ अवसर ण किउँ खेउ सण्णज्झइ सरहसु अंञ्जणेउ ॥ १ जो रणे माहिन्दि-महिन्द-धरणु जो स-रिसि-कण्णउवसग्ग-हरणु ॥ २ जो आसालियाँ विणास-कालु जो वजाउह-वणे जलण-जालु ॥ ३ जो लङ्कासुन्दरि-थण-णिहट्ट जो णन्दणवण-मद्दण-पंवट्ट ॥४ जो णिसियर-साहण-सण्णिवाउ जो अक्खकुमार-कयन्तराउ ॥५ 10 जो 'तोयदवाहण-वल-विणासु जो खण्ड-खण्ड-किय-णांगवासु ॥६ जो विमुहिय-णिसियर-सामिसालु जो दहमुह-मन्दिर-पलयकालु ॥७ जो जस-लेहडु एक्कल्ल-वीरु सो मारुइ रोमश्चिय-सरीरु ॥ ८... (रयडा णाम छन्दो) ॥ घत्ता ॥ पुणु पुणु वग्गइ पेक्खेंवि रावण-साहणु । 'अजु सइच्छएँ करमि कयन्ताँ भोअणु' ॥९ 2. 1 A णिहिट'. 2 PS सहोयरो. 3 A रोसडं. 4 P जेत्तिअउं, s जेत्तियउ. P marginally records a variant for the first half of the Ghatta : जासु किसोयरि जगु जि गिरोसहु जित्तउ. 5 P केत्तिअउ, s कित्तियउ. 3. 1 A पवद्ध. 2 A किंकर. 3 PS कियंत. 4 P खंडइ खंड. 5 A रामण. 6 PS कियंतहो. [२] १ संवुकुमारस्य. २ सूरांतकः. ३ (P's reading ) अजमोदस्य मध्यबीजम्. [३] १ विलंघु(बु). २ हनूमंतः. ३ स्तनाभ्यां निघृष्ट-हृदयः.४ दक्षः. ५ घणवाहणः. ६ नागपासः. ७ भोजनं भाजनं वा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy