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क० १०, ८-१०,, १-१०] कहिम्पि प्पएसे सुपासैइअङ्गा सहस्साइँ चत्तारि अक्खोहणीहिं
जुज्झकण्ड-सट्ठिमो संधि [२१ गइन्दाण कण्णेहिँ पावन्ति वायं ॥ ८ वले जत्थ तं वण्णिउं कस्स सत्ती ॥ ९
(भुअङ्गप्पयाओ णाम छन्दो)
॥ घत्ता
॥
हत्थ-पहत्थ ठवेप्पि अग्गएँ णं खय-कालु जगहों आरूसेंवि
रावणु देइ दिढि णिय-खग्गएँ। थिउ सङ्गाम-भूमि स इँ भू सेंवि ॥ १०
*
[६०. सट्ठिमो संधि] पर-चलें दिट्टएँ राहववीरु पयट्टउ । , अइ-रण-रहसेंण ' उरें सण्णाहु विसदृउँ ॥
[१] 'सो राह। पहरण-हत्थाए दणुवइ-णिद्दलण-समत्थाए ॥ १ दीहर-मेहल-गुप्पन्ताए
चन्दण-कम-खुप्पन्ताए ॥२ विच्छोइय-मणहर-कन्ताए
किय-मायासुग्गीवन्ताए ॥३ रण-रहसुद्भूसिय-गत्ताए
अप्फालिय-वज्जावत्ताए ॥४ आवीलिय-तोणा-जुयलाए किङ्किणि-ललन्त-चल-मुहलाए ॥ ५ कङ्कण-णिवद्ध-कर-कमलाए वित्थिण्णुण्णय-वच्छयलाए ॥ ६ कुण्डल-मण्डिय-गण्डयलाए चूडामणि-चुम्विय-भालाए ॥ ७ भासुल-फुलिआहल-वयणाए रत्तुप्पल-सण्णिह-णयणाए ॥८ जं सेण-सणद्धऍ दिट्ठाए तं लक्खणे वि आलुट्ठाए ॥ ९
(मागधप्रत्यधिका णाम छन्दो)
पत्ता ॥ झत्ति पलित्तउ अणुहरमाणु हुआसहों। णाइँ समुद्विउ मत्थासूलु दसासहीं ॥ १०
॥
10 A चारित्त. 11 P S भुयंगप्पयावो, A भुअंगप्रयाओ. 12 s ठवेविणु.
1.1 PS रइ. 2 A reads ध्रुवकं after this stanza. 3 F S सो राहव, A मल्लाहवे. 4 P 'कहमे. 5 PS A विच्छिण्णु. 6 P S आलुद्धाए, A यलुट्ठाए. 7 A माधवप्रव्यतिका नाम च्छंदः.
[१] १ सो राघवः प्रहरणहस्तौ (स्तो)। मागधिकायामाकारस्यैकारो भवत्यग्रेप्येवम् ।
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